Desh Bhaktike Geet

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घड़ा कैसा बने?-इसकी एक प्रक्रिया है। कुम्हार मिटटी घोलता, घोटता, घढता व सुखा कर पकाता है। शिशु, युवा, बाल, किशोर व तरुण को संस्कार की प्रक्रिया युवा होते होते पक जाती है। राष्ट्र के आधारस्तम्भ, सधे हाथों, उचित सांचे में ढलने से युवा समाज व राष्ट्र का संबल बनेगा: यही हमारा ध्येय है। "अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है। इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे।।" (निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र- तिलक संपादक युगदर्पण
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Saturday, March 29, 2014

अर्थात AK49 को AK47 का न्योता

अर्थात AK49 को AK47 का न्योता  
AK49 तुम मेरा समर्थन करोगे, तो जीत की ख़ुशी में कश्मीर तुम पर वार सकता हूँ, क्या विचार है?
AK47 बड़े मियां, हमें पता है तभी तो हमारी पूरी ताकत तुम्हे जिताने में लगी है। 
AK49 कोई चिंता मत करना बस मन्नत मनाओ, कि मैं जीत जाऊँ।  
AK47 यह भी कोई कहने की बात है। 
AK49 + AK47 दुनिया वालों यह हमारी आपस की बात तुम क्यों सुन रहे हो भाई ? 
दो भाई मिल रहे है, गले चुपके चुपके। योजना बन रही है, भविष्य की चुपके चुपके।। 
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया 
जनता को भ्रमित करे, तब पायें - 
नकारात्मक बिकाऊ मीडिया का सकारात्मक राष्ट्रवादी व्यापक सार्थक विकल्प, 
युगदर्पण मीडिया समूह YDMS.
जागो और जगाओ!  जड़ों से जुड़ें, 
युगदर्पण मीडिया समूह YDMS से जुड़ें!!
विश्व कल्याणार्थ भारत को विश्वगुरु बनाओ !!!     
যুগ দর্পণ, યુગ દર્પણ  ਯੁਗ ਦਰ੍ਪਣ, யுகதர்பண  യുഗദര്പണ  
యుగదర్పణ  ಯುಗದರ್ಪಣ, يگدرپयुग दर्पण:,  yugdarpan  9911111611. 
Media For Nation First & last. राष्ट्र प्रथम से अंतिम, आधारित मीडिया YDMS
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प -
युगदर्पण मीडिया समूह YDMS- तिलक संपादक
"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये। 
"हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं
http://aapaurpaap.blogspot.in/2014/03/ak-49.html
AK49, कश्मीर, चुपके-2, न्योता AK47,
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया,
तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक

Monday, March 24, 2014

केजरीवाल का ट्वीट

आधुनिक व्यंगचित्र


केजरीवाल का ट्वीट, ‘‘आडवाणी को अपने नाम से ‘वी’ हटा लेना चाहिए।’’ और आडवाणी में से ‘वी’ हटाने से अडाणी शब्द बनेगा।  *जैसे मैंने कजरी से मिला, तो नाम में धोखेवाल से धोखे को बदलने का मौका देखा, केजरीवाल बन गया। अब मेरे धोखे भी शहादत लगते है !
भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो |
छद्म वेश में फिर आया रावण |
संस्कृति में ही हमारे प्राण है | भारतीय संस्कृति की रक्षा हमारा दायित्व || -तिलक
Kejriwal tweeted,'' Advani called the "V" should be removed.'' Advani and the 'V' word will Adani removal. * As I got Kajree, saw an opportunity to change the name Dokewal mark, became Kejriwal. Now my deception takes the martyrdom!
Watch Indian culture to abducting Sita |
Then came disguised Ravana |
Culture is our life | our responsibility to protect Indian culture | | - Tilak
Kejriwal'' আদভানি "ভী" অপসারণ করা উচিত বলা, টুইট.'' আদবানি এবং 'ভী' শব্দ করবে নিজের দেহ অপসারণ. * আমি Kajree পেয়েছিলাম হিসাবে, নাম Dokewal চিহ্ন পরিবর্তন করার সুযোগ দেখেছি, Kejriwal ওঠে. এখন আমার ছলচাতুরি শহীদের লাগে!
সীতা অপহরণ করতে ভারতীয় সংস্কৃতির দেখুন |
| তারপর রাবণ ছদ্ম আসেন
ভারতীয় সংস্কৃতি রক্ষা করতে আমাদের দায়িত্ব | | সংস্কৃতি আমাদের জীবন | - তিলক
કેજરીવાલ'' અડવાણી જે "વી" દૂર કરવા જોઇએ કહેવાય છે, ટ્વિટ.'' અડવાણી અને 'વી' શબ્દ કરશે અદાણી દૂર. * હું Kajree હતો, નામ Dokewal માર્ક બદલવા માટે તક જોવા મળી હતી, કેજરીવાલ બની હતી. હવે મારી છેતરપિંડી શહાદત લે!
સીતા અપહરણ માટે ભારતીય સંસ્કૃતિ જુઓ |
| પછી રાવણ છૂપી આવ્યા
ભારતીય સંસ્કૃતિ રક્ષણ અમારી જવાબદારી | | સંસ્કૃતિ અમારા જીવન છે | - તિલક
ಕೇಜ್ರಿವಾಲ್'' ಆಡ್ವಾಣಿ "ವಿ" ತೆಗೆದುಹಾಕಬೇಕು ಎಂಬ ನನಸಾಗಿಸಿಕೊಳ್ಳುವುದಾಗಿ.'' ಅಡ್ವಾಣಿ ಮತ್ತು 'ವಿ' ಪದ ತಿನ್ನುವೆ Adani ತೆಗೆಯುವುದು. * ನಾನು Kajree ಸಿಕ್ಕಿತು, ಹೆಸರು Dokewal ಮಾರ್ಕ್ ಬದಲಾಯಿಸಲು ಅವಕಾಶ ಕಂಡಿತು, ಕೇಜ್ರಿವಾಲ್ ಆಯಿತು. ಈಗ ನನ್ನ ವಂಚನೆ ಹುತಾತ್ಮತೆ ತೆಗೆದುಕೊಳ್ಳುತ್ತದೆ! 
ಸೀತಾ ಅಪಹರಿಸಿ ಭಾರತೀಯ ಸಂಸ್ಕೃತಿ ವೀಕ್ಷಿಸಿ | 
| ನಂತರ ರಾವಣ ವೇಷ ಬಂದಿತು 
ಭಾರತೀಯ ಸಂಸ್ಕೃತಿ ರಕ್ಷಿಸಲು ನಮ್ಮ ಜವಾಬ್ದಾರಿ | | ಸಂಸ್ಕೃತಿ ನಮ್ಮ ಜೀವನ | - ತಿಲಕ
केजरीवाल'' अडवाणी "विराट" काढणे आवश्यक म्हणतात, ट्विट.'' अडवाणी आणि 'व्ही' शब्द उत्साह Adani काढणे. * मी Kajree आला म्हणून नाव Dokewal खूण बदलण्यासाठी संधी पाहिले, केजरीवाल झाले. आता माझ्या फसवणूक हौतात्म्य घेते! 
सीता abducting भारतीय संस्कृती पहा | 
| मग रावण छुपी आला 
भारतीय संस्कृती रक्षण करण्याची आमची जबाबदारी | | संस्कृती आमच्या जीवन आहे | - टिळक
கெஜ்ரிவால்'' அத்வானி "வி" நீக்க வேண்டும் என்று, ட்வீட்.'' அத்வானி மற்றும் 'வி' என்ற வார்த்தை வரும் அதானி அகற்றுதல். * நான் Kajree கிடைத்தது போல், பெயர் Dokewal மார்க் மாற்ற ஒரு வாய்ப்பை பார்த்தேன், கெஜ்ரிவால் மாறியது. இப்போது என் மோசடி தியாக எடுக்கிறது! 
சீதா கடத்தப்பட்ட இந்திய கலாச்சாரம் Watch | 
| இராவணனுடைய மாறுவேடமிட்டு வந்தது 
இந்திய கலாச்சாரம் பாதுகாக்க நமது பொறுப்பு | | கலாச்சாரம் நம் வாழ்க்கை | - திலக்
ਕੇਜਰੀਵਾਲ'' ਅਡਵਾਨੀ "V" ਨੂੰ ਹਟਾਇਆ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, tweeted.'' ਅਡਵਾਨੀ ਅਤੇ 'V' ਸ਼ਬਦ ਨੂੰ ਕਰੇਗਾ ਅਦਾਨੀ ਹਟਾਉਣ. * ਮੈਨੂੰ Kajree ਮਿਲੀ ਹੋਣ ਦੇ ਨਾਤੇ, ਨਾਮ Dokewal ਨਿਸ਼ਾਨ ਤਬਦੀਲ ਕਰਨ ਲਈ ਇੱਕ ਮੌਕਾ ਦੇਖਿਆ ਸੀ, ਕੇਜਰੀਵਾਲ ਬਣ ਗਿਆ. ਹੁਣ ਮੇਰਾ ਧੋਖਾ ਸ਼ਹਾਦਤ ਲੱਗਦਾ ਹੈ! 
ਸੀਤਾ ਅਗਵਾ ਕਰਨ ਦੀ ਭਾਰਤੀ ਸਭਿਆਚਾਰ ਨੂੰ ਦੇਖੋ | 
| ਤਦ ਰਾਵਨ disguised ਆਇਆ, 
ਭਾਰਤੀ ਸਭਿਆਚਾਰ ਦੀ ਰਾਖੀ ਕਰਨ ਦੀ ਸਾਡੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ | | ਸੱਭਿਆਚਾਰ, ਸਾਡਾ ਜੀਵਨ ਹੈ | - ਤਿਲਕ
కేజ్రీవాల్'' అద్వానీ "V" తొలగించాలి అని, ట్వీట్.'' అద్వానీ, 'V' పదం రెడీ అదానీ తొలగింపు. * నేను Kajree వచ్చింది, పేరు Dokewal మార్క్ మార్చడానికి అవకాశాన్ని చూసింది, కేజ్రీవాల్ మారింది. ఇప్పుడు నా మోసం బలిదానం పడుతుంది! 
సీతా abducting భారత సంస్కృతి చూస్తారు | 
| అప్పుడు రావణుడు మారువేషంలో వచ్చింది 
భారతీయ సంస్కృతి రక్షించడానికి మేము మా బాధ్యతను | | సంస్కృతి మా జీవితం ఉంది | - తిలక్
کیجریوال کا ٹویٹ،'' اڈوانی کو اپنے نام سے 'وی' ہٹا لینا چاہئے.'' اور اڈوانی میں سے 'وی' ہٹانے سے اڈاي لفظ بنے گا. * جیسے میں نے كجري سے ملا، تو نام میں دھوكھےوال سے دھوکے کو تبدیل کرنے کا موقع دیکھا، کیجریوال بن گیا. اب میرے دھوکے بھی شہادت لگتے ہے! 
بھارتی ثقافت کی سیتا کا هر کرنے دیکھو | 
چھدم کی آڑ میں پھر آیا راون | 
ثقافت میں ہمارے جان ہے | بھارتی ثقافت کی حفاظت ذمے داری | | - تلک
नकारात्मक मीडिया का सकारात्मक सार्थक व्यापक विकल्प युगदर्पण मीडिया समूह YDMS 9911111611
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक

Sunday, March 23, 2014

नकारात्मक मीडिया का सकारात्मक विकल्प युगदर्पण|

नकारात्मक मीडिया का सकारात्मक विकल्प युगदर्पण|
#आजतक चैनल के #थर्ड डिग्री #कार्यक्रम में बाबा राम देव ने कहा, कभी राहुल गांधी को भी बुलाकर इस कार्यक्रम में घेरिये।
तो इस पर पुण्य प्रसून का उत्तर """आप भी कभी मोदी जी से इस कार्यक्रम में आने के लिए कहिये।""
राहुल गांधी के नाम पर मिर्ची लग जाती है इनको। इन हरामखोरो को याद नहीं रहा लगता है, मोदी इनके चेनल पर सीधी बात मे आ चुके है और ये क्या चाहते है मोदी इस दलाल चेनल पर बार बार आये तो इसके दुवारा इनकी घटती टीआरपी बड़े। ये अपने सगे वाले कोंग्रेसियो को दलाल चेनल अपने आकाओं को बुलाकर टेड़ा प्रश्न पूछ आकाओं को नंगा कर नहीं सकते, हल्का प्रश्न पूछ कर अपने नंगे होने का भय रहत है। तभी तो बुलाने का साहस नहीं होता। 
आज तक न्यूज़ चैनल सबसे बड़ा कोंग्रेसी, और आप पार्टी का दलाल। इनका काम हिन्दू धर्म हिन्दू संगठनो पर ऊँगली उठाना और साथ में दिन रात मोदी, भाजपा के बारे में झूठे समाचार दिखा कर लोगो को भ्रमित करना। 
नरेंद्र मोदी से किस बात की शत्रुता है इस समाचार चैनल पर बैठे इन दलालो को जो दिन रात मोदी को कोसते रहते है? 
भाजपा या नरेन्द्र मोदी विरोध से टीआरपी के बिना न मिलेगी हमको रोटी। 
प्रति दिन इन्हे कोसने से इनके विरोधी आका डाल देते है हमारे आगे बोटी।।
ऐसे नकारात्मक मीडिया का सकारात्मक सार्थक व्यापक विकल्प युगदर्पण मीडिया समूह YDMS 9911111611
भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो | छद्म वेश में फिर आया रावण |
http://satyadarpan.blogspot.in/2014/03/blog-post_23.html
संस्कृति में ही हमारे प्राण है | भारतीय संस्कृति की रक्षा हमारा दायित्व || -तिलक
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक

Sunday, March 16, 2014

बुरा ना मानो होली है:

बुरा ना मानो होली है: 


















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मोदी को रोकने के लिए चौकड़ी का कुचक्र। (होली का विशेष उपहार।)

                                                         नई दिल्ली।। यदि इन बातों में सत्य का दर्पण मिले, इसे मात्र एक संयोग माना जाये -सम्पादक। 
मोदी की बढती लोकप्रियता व कांग्रेस की हार को निश्चित जान सत्ता में सेंध लगाने में, एक नया कुचक्र चला गया है, जिसकी आशंका युगदर्पण को पहले ही थी। मीडिया के सर्वेक्षण व आंकलन के बाद यह जान कर कि कांग्रेस का सफाया निश्चित हो गया है, एक नयी योजना रची गई है। इस योजना के अंतर्गत मीडिया यह प्रचारित करेगी कि मीडिया व केजरीवाल में ठन गई हैं, जिससे उसे नायक बना कर दिल्ली पर थोपने का दाग भी धोया जा सके तथा टी आर पी भी बड़ सके।  नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री न बने, केजरीवाल फिर नायक बने इसके लिए चर्चा के केंद्र में लाये जा सके। नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी का समझौता दर्शाने की अटकलें भी दर्शाने का प्रयास किया जायेगा। इससे मीडिया दोहरा लक्ष्य भेदने का प्रयास करेगी, एक तो भाजपा की जगह केजरीवाल को लाने का प्रयास सफल हो, दूसरे मीडिया की भद्द पिटने से बचाई जा सके।
कांग्रेस के आतंरिक सूत्रों के अनुसार एक दशक से अधिक मीडिया,  झूठे गवाहों व केन्द्रीय जाँच एजेंसियों, विश्वस्त पत्रकारों के माध्यम मोदी को रोकने में असफल रहे। अमेरिका ने मैग्सेसे द्वारा फिलिपींस पर नियंत्रण को आधार बना अन्य देशों को हथियाने हेतु मैग्सेसे पुरस्कार आरम्भ किया। यह पुरस्कार भारत में कई लोगों को देने के बाद 'भारतीय मैग्सेसे' केवल एक केजरीवाल मिला। उसे पहले सीआईए के असीमित कोष से फोर्ड के माद्यम गैर सरकारी संग., बाद में राजनैतिक दल के रुपमे, धन दिया गया।  नवपाखंड चैनलों में नायकत्व प्रदान कर पद सुरक्षित किया जायेगा, पहले मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री पद हेतु।  धोखेवाल तथा कांग्रेस के उपाध्यक्ष के बीच आगामी चुनाव को लेकर एक गुप्त समझौता हुआ है, जिसमें कांग्रेस अपना छूटता शासन मोदी के पास न जाये; धोखेवाल के मार्ग को सरल बनायेंगे, जीतकर धोखेवाल कांग्रेस की भद्द नहीं पीटेंगे
Remove C4, Save Bharat, C4 मिटाओ, भारत बचाओ बंगाल में सी.पी.एम. पहले ही सत्ता को खो चुकी है दिल्ली में इसके लिए कभी स्थान रहा ही नहीं। कांग्रेस के विकल्प में भाजपा को रोकना है, जैसे फ़िल्मी नायक नकली गुंडों को हरा कर नायिका प्रेमजाल में फंसता है, कांग्रेस को गालियाँ देकर के धोखेवाल दिल्ली के हितरक्षक का पाखंड कर प्रचार पाता है।  सत्ता पाने के बाद जनहित के प्रस्ताव न लाकर लोकपाल बिलको जानबूझकर अवैध ढांड से लाकर सत्ता त्याग का बहाना बनाना, दूसरों पर आरोप बाधा कड़ी कर दी गई है। 
यह पूर्व नियोजित चाल थी, कांग्रेस के एक सूत्र ने भी नाम न छापने की शर्त पर इस समाचार की पुष्टि की है।जैसा नायकत्व 10 वर्ष पूर्व सोनिए को मिला, देश हम कुछ बोल न सके।  मीडिया का पाखंड प्रचार इस बार केजरीवाल के लिए चालू है। तब 5 -10 वर्ष उसके पाप हम देख ही नहीं पाएंगे। देखिये आआपा के पाप ।http://aapaurpaap.blogspot.in/2014/03/blog-post_16.html

कांग्रेस के घोटालों और गुनाहों को कम करके न आँकें -राहुल।  (बुरा ना मानो होली है:)
"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये।
"हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं
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इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक

Sunday, February 23, 2014

चीन को चेतावनी, देश को टूटने नहीं दूंगा,

चीन को चेतावनी, देश को टूटने नहीं दूंगा,अरुणाचल के कबीले से जुड़े मोदी 

पासीघाट (अरुणाचल), 22 फर (हि.स.)। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के घोषित प्रत्याशी व गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शनिवार को पूर्वोत्तर में अपनी तीसरी चुनावी सभा को अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट में संबोधित करते हुए प्रथम बार जहां चीन को चेतावनी दी, वहीँ कांग्रेस पर भी जमकर निशाना साधा।  

विदेश नीति के मुद्दे पर अपना पक्ष दोहराते हुए, भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी ने, आज चीन से अपनी ‘विस्तारवादी मानसिकता’ को छोड़ने को कहा, साथ ही यह स्पष्ट किया, कि विश्व की कोई शक्ति भारत से अरुणाचल प्रदेश को नहीं छीन सकती। चीन को अपनी विस्तारवादी नीति को छोड़ने की चेतावनी देते हुए मोदी ने, चुनाव प्रचार के मध्य यहां एक सभा में कहा, ‘‘अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और सदा बना रहेगा। अरुणाचल प्रदेश के लोगों को चीन के दबाव या भय में नहीं आना चाहिए।’’ 

सियांग नदी के पास आयोजित सभा को संबोधित करते उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देशों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देना चाहिए।’’ मोदी ने कहा, "मैं इस मिट्टी की शपथ लेता हूं, कि मैं राज्य को न तो समाप्त होने दूंगा और न ही टूटने या झुकने दूंगा।’’

मोदी ने यहां विजय संकल्प अभियान रैली को संबोधित करते हुए कहा, "इस कबीले और मेरे पूर्वजों में अवश्य कोई संबंध रहा होगा क्योंकि हमारे उपनाम एक समान हैं।’’ उन्होंने कहा, "आदि जनजाति के मोदी कबीले की जनसँख्या प्राय: 7000 है और इनका गुजरात के मोदियों से अवश्य कोई संबंध होगा। यदि कोई इतिहास में जाए, तब यह स्थापित किया जा सकता है।’’ इस पर मोदी कबीले के आदि जनजाति के सदस्यों को आज गर्व का अनुभव हो रहा होगा। उन्होंने कहा, "द्वारका (गुजरात) के भगवान कृष्ण ने अरुणाचल की रूक्मिणी से विवाह कया था। इस तरह से गुजरात और अरुणाचल का 5000 वर्ष पुराना नाता है।’’ मोदी ने कहा कि अरुणाचल में सबसे पहले सूर्य उगता है और गुजरात में सबसे अंत में अस्त होता है। अब सूर्य उदय से अस्त तक रहेगा, मोदी के देश का। 

जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे, तब पायें 

नकारात्मक बिकाऊ मीडिया का सकारात्मक राष्ट्रवादी व्यापक सार्थक विकल्प, 
युगदर्पण मीडिया समूह YDMS.
यदि आप भी मुझसे जुड़ना चाहते हैं, तो आपका हार्दिक स्वागत है, संपर्क करें औऱ अपने सम्पर्क सूत्र सहित बताएं, कि आप किस प्रकार व किस स्तर पर कार्य करना चाहते हैं, तथा कितना समय देना चाहते हैं ? आपका आभार अग्रेषित है।

Yug Darpan Media Samooh YDMS যুগদর্পণ, યુગદર્પણ  ਯੁਗਦਰ੍ਪਣ, யுகதர்பண  യുഗദര്പണ  యుగదర్పణ  ಯುಗದರ್ಪಣ,

http://aajkimahaabhaaratdarpan.blogspot.in/2014/02/blog-post_23.html
Media For Nation First & last. राष्ट्र प्रथम से अंतिम, आधारित मीडिया YDMS
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प
-युगदर्पण मीडिया समूह YDMS- तिलक संपादक
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक

Wednesday, February 19, 2014

हमारे आदर्श (1) छत्रपति

हमारे आदर्श (1) छत्रपति शिवाजी कुशल प्रशासक 
19 फरवरी, 1630 को शिवनेरी दुर्ग में जन्मे, 18 वें मराठा शासक, छत्रपति शिवाजी राजे भोसले ने कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया। उन्होंने पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। वह सभी कलाओ मे पारांगत थे, उन्होंने बचपन में राजनीति एवं युद्ध की शिक्षा ली थी । उनके पिता अप्रतिम शूरवीर थे | शिवाजी महाराज के चरित्र पर माता-पिता का बहुत प्रभाव पड़ा। बचपन से ही वे उस युग के वातावरण और घटनाओँ को भली प्रकार समझने लगे थे। शासक वर्ग की करतूतों पर वे बेचैन और हो क्रोधित हो जाते थे। स्वाधीनता की लौ उनके बाल-हृदय में प्रज्ज्वलित हो गयी थी। संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत करने के कारण वे कुशल योद्धा माने जाते हैं।
बङी ही व्यवहारिक बुद्धी के स्वामी शिवाजी, वे तात्कालिक सामाजिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक परिस्थितियों के प्रति बहुत सजग थे। हिन्दु धर्म, गौ एवं ब्राह्मणों की रक्षा करना उनका उद्देश्य था। वो धार्मिक सहिष्णुता के पक्षधर भी थे । मुसलमानों को उनके साम्राज्य में धार्मिक स्वतंत्रता थी और उन्हें धर्मपरिवर्तन के लिए विवश नहीं किया जाता था । कई मस्जिदों के निर्माण के लिए शिवाजी ने अनुदान दिया । हिन्दू पण्डितों की भांति मुसलमान सन्तों और फ़कीरों को भी सम्मान प्राप्त था । 
वे मुग़ल शासकों के अत्याचारों से भली-भाँति परचित थे इसलिए उनके अधीन नही रहना चाहते थे। उन्होने मावल प्रदेश के युवकों में देशप्रेम की भावना का संचार कर कुशल तथा वीर सैनिकों का एक दल बनाया। शिवाजी हिन्दु धर्म के रक्षक के रूप में मैदान में उतरे और मुग़ल शाशकों के विरुद्ध उन्होने युद्ध की घोषणां कर दी। शिवाजी अपने वीर तथा देशभक्त सैनिकों के सहयोग से जावली, रोहिङा, जुन्नार, कोंकण, कल्याणीं आदि उनेक प्रदेशों पर अधिकार स्थापित करने में सफल रहे। प्रतापगढ तथा रायगढ दुर्ग जीतने के बाद उन्होने रायगढ को मराठा राज्य की राजधानी बनाया था। शिवाजी पर महाराष्ट्र के लोकप्रिय संत रामदास एवं तुकाराम का भी प्रभाव था। संत रामदास शिवाजी के आध्यात्मिक गुरु थे, उन्होने ही शिवाजी को देश-प्रेम और देशोउद्धार के लिये प्रेरित किया था।
शिवाजी की बढती शक्ती बीजापुर के लिये चिन्ता का विषय थी। आदिलशाह की विधवा बेगम ने अफजल खाँ को शिवाजी के विरुद्ध युद्ध के लिये भेजा था। कुछ परिस्थिती वश दोनो खुल्लम- खुल्ला युद्ध नही कर सकते थे। अतः दोनो पक्षों ने समझौता करना उचित समझा। 10 नवम्बर 1659 को भेंट का दिन तय हुआ। शिवाजी जैसे ही अफजल खाँ के गले मिले, अफजल खाँ ने शिवाजी पर वार कर दिया। शिवाजी को उसकी मंशा पर पहले से ही शक था, वो पूरी तैयारी से गये थे। शिवाजी ने अपना बगनखा अफजल खाँ के पेट में घुसेङ दिया । अफजल खाँ की मृत्यु के पश्चात, बीजापुर पर शिवाजी का अधिकार हो गया। इस विजय के उपलक्ष्य में शिवाजी, प्रतापगढ में एक मंदिर का निर्माण करवाया, जिसमें माँ भवानी की प्रतिमा को प्रतिष्ठित किया गया ।बीस वर्ष तक लगातार अपने साहस, शौर्य और रण-कुशलता द्वारा, शिवाजी ने अपने पिता की छोटी सी जागीर को एक स्वतंत्र तथा शक्तीशाली राज्य के रूप में स्थापित कर लिया था। 6 जून, 1674 को शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ था। शिवाजी जनता की सेवा को ही अपना धर्म मानते थे। उन्होने अपने प्रशासन में सभी वर्गों और सम्प्रदाय के अनुयायियों के लिये समान अवसर प्रदान किये। कई इतिहासकारों के अनुसार शिवाजी केवल निर्भिक सैनिक तथा सफल विजेता ही न थे, वरन अपनी प्रजा के प्रबुद्धशील शासक भी थे। शिवाजी के मंत्रीपरिषद् में आठ मंत्री थे, जिन्हे अष्ट-प्रधान कहते हैं।
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण, 
 योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
http://raashtradarpan.blogspot.in/2014/02/1.html
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"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक

Thursday, February 13, 2014

भारतीय मूल्यों की प्रसांगिकता

भारतीय मूल्यों की प्रसांगिकता  जागो और जगाओ भा-2 !
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विश्व कल्याणार्थ भारत को विश्व गुरु बनाओ !!!
(युग दर्पण राष्ट्रीय समाचार पत्र के अंक 16-22 फरवरी 2009 में सम्पादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित लेख, आज ब्लॉग के माध्यम पुन: प्रकाशित) Relevance of Indian values, ভারতীয় মূল্যবোধের সংশ্লিষ্টতা, ભારતીય કિંમતો અનુરૂપતા, ਭਾਰਤੀ ਮੁੱਲ ਦੇ ਸਬੰਧ, भारतीय मूल्यांचे संदर्भाप्रमाणे, ಭಾರತೀಯ ಮೌಲ್ಯಗಳ ಪ್ರಸ್ತುತತೆ, இந்திய மதிப்புகள் சம்பந்தம், భారత విలువలు ఔచిత్యం, 
विविधता तो भारत की विशिष्टता सदा से रही है किन्तुआज विविधता में एकता केवल एक नारा भर रह गया है!विभिन्न समुदायों में एहं व परस्पर टकराव का आधार जाति, वर्ग, लिंग,धर्म ही नहीं, पीडी की बदलती सोच मर्यादाविहीन बना विखंडन के संकेंत दे रही है! इन दिनों वेलेंतैनेडे के पक्ष विपक्ष में तथा आजादी और संस्कृति पर मोर्चे खुले हैं. वातावरण गर्मा कर गरिमा को भंग कर रहा है .
-बदलती सोच- एक पक्ष पर संस्कृति के नाम पर कानून में हाथ लेना व गुंडागर्दी का आरोप तथा व्यक्ति की स्वतंत्रता के अतिक्रमण के आरोप है! दूसरे पर आरोप है अपसंस्कृति अश्लीलता व अनैतिकता फैलाने कादूसरी ओर आज फिल्म टीवी अनेक पत्र पत्रिकाओं में मजोरंजन के नाम पर कला का विकृत स्वरूप देश की युवा पीडी का ध्यान भविष्य व ज्ञानोपार्जन से भटका कर जिस विद्रूपता की ओर ले जा रहा है! पूरा परिवार एक साथ देख नहीं सकता!
   घर से पढ़ने निकले 15-25 वर्ष के युवा इस उतेजनापूर्ण मनोरंज के प्रभाव से सार्वजनिक स्थानों (पार्को) में अर्धनग्न अवस्था व आपतिजनक मुद्रा में संलिप्त दिखाई देते हैं! जिससे वहां की शुद्ध वायु पाना तो दूर (जिसके लिए पार्क बने हैं) बच्चों के साथ पार्क में जाना संभव नहीं! फिर अविवाहित माँ बनना व अवैध गर्भाधान तक सामान्य बात होती जा रही है! हमारें पहिये संविधान और समाज की धुरियों पर टिके हैं तो इन्ही के सन्दर्भ के माध्यम स्तिथि का निष्पक्ष विवेचन करने का प्रयास करते हैं!
   विगत 6 दशक से इस देश में अंग्रजो के दासत्व से मुक्ति के पश्चात् इस समाज को खड़े होने के जो अवसर पहले नहीं मिल पा रहे थे मिलने लगे, इस पर प्रगतिशीलता और विकास के आधुनिक मार्ग पर चलने का नारा समाज को ग्राह्य लगना स्वाभाविक है! किन्तु दुर्भाग्य से आधुनिकता के नाम पर पश्चिम की अंधी दौड़ व प्रगतिशीलता के नाम पर "हर उस परम्परा का" विरोध व कीचड़ उछाला जाने लगा, जिससे इस देश को उन "मूल्यों आदर्शों संस्कारों मान्यताओं व परम्पराओं से पोषण उर्जा व संबल" प्राप्त होता रहा है! जिन्हें युगों युगों से हमने पाल पोस कर संवर्धन किया व परखा है तथा संपूर्ण विश्व ने जिसके कारण हमें विश्व गुरु माना है! वसुधैव कुटुम्बकम के आधार पर जिसने विश्व को एक कल्याणकारी मार्ग दिया है! विश्व के सर्वश्रेष्ट आदर्शो मूल्यों व संस्कारों की परम्पराओं को पश्चिम की नवोदित संस्कृति के प्रदूषित हवा के झोकों से संक्रमित होने से बचाना किसी भी दृष्टि से अनुचित नहीं ठहराया जा सकता
सहिष्णुता नैसर्गिक गुण- क्या हमने कभी समझने का प्रयास किया कि आजादी के पश्चात् जब मुस्लिम बाहुल्य पाकिस्तान एक इस्लामिक देश बना, तो हिन्दू बाहुल्य भारत हिन्दवी गणराज्य की जगह धर्मनिरपेक्ष लोकतन्त गणराज्य क्यों बना? यहाँ का बहुसंख्यक समाज स्वाभाव से सदा ही धार्मिक स्वतंत्रता व सहिष्णुता के नैसर्गिक गुणों से युक्त रहा है! धर्म के प्रति जितनी गहरी आस्था विभिन्न पंथों के प्रति उतनी अधिक सहिष्णुता का व्यवहार उतना ही अधिक निर्मल स्वभाव हमें विरासत में मिला है! विश्व कल्याण व समानता का अधिकार हमारी परम्परा का अंग रही है! उस निर्मल स्वभाव के कारण सेकुलर राज्य का जो पहाडा पडाया गया उसे स्वीकार कर लिया!
   60 वर्ष पूर्व उस पीडी के लोग जानते हैं, सामान्य भारतीय (मूल हिन्दू) स्वाभाव सदा ही निर्मल था! वे यह भी जानते हैं कि विश्व कल्याण व समानता के अधिकार दूसरो को देने में सकोच न करने वाले उस समाज को 60 वर्ष में किस प्रकार छला गया? उसका परिणाम भी स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहा है! हम कभी हिप्पिवाद, कभी आधुनिकता के नाम खुलेपन (अनैतिकता) के द्वार खोल देते हैं! अब स्थिति ये है कि आज ये देश मूल्यहीनता, अनैतिकता, अपसंस्कारों, अपराधों व विषमताओं सहित;अनेकों व्याधियों, समस्याओं व चुनोतियों के अनंत अंधकार में छटपटा रहा है? उस तड़प को कोई देशभक्त ही समझ सकता है! किन्तु देश की अस्मित के शत्रुओं के प्रति नम्रता का रुझान रखने वाले देश के कर्णधार इस पीढा का अनुभव करने में असमर्थ दिखते हैं!
 निष्ठा में विकार- आजादी की लड़ाई में हिन्दू मुसलिम सभी वन्दे मातरम का नारा लगाते, उससे ऊर्जा पाते थे. उसमे वे भी थे जो देश बांटकर उधर चले गए, तो फिर इधर के मुसलमान वन्देमातरम विरोधी कैसे हो सकते थे ? आजादी के पश्चात अनेक वर्षो तक रेडियो टीवी पर एक समय राष्ट्रगीत, एक समय राष्ट्रगान होता था! इस सेकुलर देश के, स्वयं को "हिन्दू बाई एक्सिडेंट" कहने वाले प्रथम प्रधानमंत्री से दूसरे व तीसरे प्रधानमंत्री तक के काल में इस देश में वन्दे मातरम किसी को सांप्रदायिक नहीं लगा, फिर इन फतवों का कारण ?
  इस देश की मिटटी के प्रति समपर्ण, फिर कैसे कुछ लोगो को सांप्रदायिक लगने लगा? वन्देमातरम हटाने की कुत्सित चालों से किसने अपने घटियापन का प्रमाण दिया? उस समय अपराधिक चुपपी लगाने वालो को, क्यों हिन्दुत्व का समर्थन करने वालों से मानवाधिकार, लोकतंत्र व सेकुलरवाद संकट में दिखाई देने लगता है? 
हिन्दुत्व के प्रति तिरस्कार, कैसा सेकुलरवाद है?  जब कोई जेहाद या अन्य किसी नाम से मानवता के प्रति गहनतम अपराध करता है, तब भी मानवाधिकार कुम्भकरणी निद्रा से नहीं जागता? जब हिन्दू समाज में आस्था रखने वालों की आस्था पर प्रहार होता है, तब भी सता के मद में मदमस्त रहने वाले, कैसे, अनायास; हिन्दुत्व की रक्षा की आवाज सुनकर(भयभीत) तुरंत जाग जाते हैं? किन्तु उसके समर्थन में नहीं; भारतीय संस्कृति व हिन्दुत्व की आवाज उठाने वालों को खलनायक व अपराधी बताने वाले शब्द बाणों से, चहुँ ओर से प्रहार शुरू कर देते हैं!
   अभी 5 वर्ष पूर्व मंगलूर में पब की एक घटना पर एक पक्षिय वक्तवयो, कटाक्षों, से उन्हें कहीं हिन्दुत्व का ठेकदार, कहीं संस्कृती का ठेकदार का रूप में, फांसीवादी असहिष्णु व गुंडा जैसे शब्दों से अलंकृत किया गया! इसलिए कि उन्हें पब में युवा युवतियों का मद्यपान व अश्लील हरकतों पर आपति थी ? संभव है, इस पर दूसरे पक्ष ने (स्पष्ट:योवन व शराब की मस्ती का प्रकोप में) उतेजनापूर्ण प्रतिकार भी किया होगा? परिणामत दोनों पक्षों में हाथापाई? ताली दोनों हाथो से बजी होगी? एक को दोषी 
मान व दूसरे का पक्ष लेना क्या न्यायसंगत है?    जिस अपरिपक्व आयु के बच्चों को कानून नौकरी, सम्पति, मतदान व विवाह का अधिकार नहीं देता; क्योंकि अपरिपक्व निर्णय घातक हो सकते हैं; आकर्षण को ही प्रेम समझने कि नादानी उनके जीवन को अंधकारमय बना सकती है! उन्हें आयु के उस सर्वधिक संवेदनशील मोड़ पर क्या दिशा दे रहें हैं, हम लोग? जिस लोकतंत्र ने यहाँ आधुनिकाओं को अपने ढंग से जीने का अधिकार दिया है, उसी लोकतंत्र ने इस देश की संस्कृति व परम्पराओं के दिवानो को उस कि रक्षा के लिये, विरोध करने का अधिकार भी दिया है! यदि उन्हें जबरदस्ती का अधिकार नहीं है, तो तुम्हे समाज के बीच नैतिक, मान्यताओं, मूल्यों को खंडित करने का अधिकार किसने दिया? किसी की आस्था व भावनायों को ठेस पहुंचाने की आजादी, कौन सा सात्विक कार्य है?
गाँधी दर्शन- जिस गाँधी को इस देश की आजादी का पूरा श्रेय देकर व जिसके नाम से 60 वर्षों से उसके कथित वारिस इस देश का सता सुख भोग रहें है, उसकी बात तो मानेगे! उसने स्पष्ट कहा था 'आपको ऊपर से ठीक दिखने वाली इस दलील के भुलावे में नहीं आना चाहिय कि शराब बंदी जोर जबरदस्ती के आधार पर नहीं होनी चाहिये; और जो लोग शराब पीना चाहते हैं, उन्हें इसकी सुविधा मिलनी ही चाहिये! हम वैश्याल्यो को अपना व्यवसाय चलाने की अनुमति नहीं देते! इसी तरह हम चोरो को अपनी चोरी की प्रवृति पूरी करने की सुविधाए नहीं देते! मैं शराब को चोरी ओर व्यभिचार दोनों से ज्यादा निन्दनीय मानता हूँ!'
   जब इस बुराई को रोकने का प्रयास किया गया तो हाथापाई होने पर जैसी प्रतिक्रिया दिखाई जा रही है, वैसी उस बुराई को रोकने में क्यों नहीं दिखाई गयीइस बुराई को रोकने का प्रयास करने पर आज गाँधी को भी ये आधुनिकतावादी इसी आधार पर प्रतिगामी, प्रतिक्रियावादी व फासिस्ट घोषित कर देते?
   इस मदिरापान से विश्व मैं मार्ग दुर्घटनाएँ होती हैं! मदिरापान का दुष्परिनाम तो महिलाओं को ही सर्वाधिक झेलना पड़ता है! इसी कारण महिलाएं इन दुकानों का प्रबल विरोध भी करती हैं! किन्तु जब प्रतिरोध भारतीय संस्कृति के समर्थको ने किया है, तो उसमें गतिरोध पैदा करने की संकुचित व विकृत मानसिकता, हमे अपसंस्कृति व अनुचित के पक्ष में खड़ा कर, अनिष्ट की आशंका खड़ी करती है ??
समस्या व परिणाम- किन्तु हमारे प्रगतिशील, आधुनिकता के पाश्चात्यानुगामी गोरो की काली संताने, अपने काले कर्मो को घर की चारदीवारी में नहीं, पशुवत बीच सड़क करने के हठ को, क्यों अपना अधिकार समझते हैं? पूरे प्रकरण को हाथापाई के अपराध पर केन्द्रित कर, हिन्दू विरोधी प्रलाप करने वाले, क्यों सभ्य समाज में सामाजिक व नैतिक मूल्यों की धज्जियाँ उड़ाने व अपसंस्कृति फैलाने की सोच, का समर्थन करने में संकोच नहीं करते ? फिर उनके साथ में मंगलूर जैसी घटना होने पर, सभी कथित मानवतावादी उनके समर्थन में हिन्दुत्व को गाली देकर, क्या यही प्रमाण देना चाहते हैं: कि 1) भारत में आजादी का पश्चात, मैकाले के सपनो को पहले से भी तीर्वता से पूरा किया जा सकता है?
   2) जिस संस्कृति को सहस्त्र वर्ष के अन्धकार युग में भी शत्रुओ द्वारा नहीं मिटाया जा सका व आजादी के संघर्ष में प्रेरण हेतु देश के दीवाने गाते थे "यूनान मिश्र रोमा सब मिट गए जहाँ से, कुछ बात है कि अब तब बाकि निशान हमारा", आजाद भारत में उसके इस गौरव को खंडित करने व उसे ही दुर्लक्ष्य करने की आजादी, इस देश के शत्रुओं को उपलब्ध हो? क्या लोकतंत्र, समानता, सहिष्णुता के नाम पर ये छूट, हमारी अस्मिता से खिलवाड़ नहीं??
   केवल सता में बने रहना या सीमा की अधूरी, अनिश्चित सुरक्षा ही राष्ट्रिय अस्मिता नहीं है! जिस देशकी संस्कृति नष्ट हो जाती है, रोम व यूनान की भांति मिट जाता है! हमारी तो सीमायें भी देश के शत्रुओं के लिये खुली क्यों हैं? हमारे देश के कुछ भागो पर ३ पडोसी देश अपना अधिकार कैसे समझते हैं? वहां से कुछ लोग कैसे हमारी छाती पर प्रहार कर चले जाते हैं? हम चिल्लाते रह जाते हैं?   देश की संस्कृति मूल्यों मान्यताओ सहित इतिहास को तोड मरोड कर हमारे गौरव को धवंस्त किया जाता है! सरकार की ओर से उसे बचाने का कोई प्रयास नहीं किया जाता! क्योंकि हम धर्म निरपक्ष है? फिर, कोई और बचाने का प्रयास करे तो उसे कानून हाथ में लेने का अपराध माना जाता है? इस देश के मूल्यों आदर्शो की रक्षा न ये करेंगे न करने देंगे? फिर भी हम कहते हैं कि सब धर्मावलम्बीयों को अपने धर्म का पालन करने, उसकी रक्षा करनें का अधिकार है, अपनी बात कहने का अधिकार है? कैसा कानून कैसा अधिकार व कैसी ये सरकार? 
  जरा सोचे- व्यवहार में देखे, तो भारत व भारतीयता के उन तत्वों को दुर्लक्ष किया जाता है, जिनका संबध भारतीय संस्कृति, आदर्शो, मूल्यों व परम्पराओं से है! क्योंकि वे हिंदुत्व या सनातन परम्परा से जुड़े हैं? उसके बारे में भ्रम फैलाना, अपमानित व तिरस्कृत करना, हमारा सेकुलर सिद्ध अधिकार है?
   इस अधिकार का पालन हर स्तर पर होना ही चाहिये? किन्तु उन मूल्यों की स्पर्धा में जो भी आए उसे किसी प्रकार का कष्ट नहीं होने दिया जायेगा? हिन्दू हो तो, इस सब को सहन भी करो और असहिष्णु भी कहलाओ? सहस्त्र वर्ष के अंधकार में भी संस्कारो की रक्षा करने में सफल विश्व गुरु, दिन निकला तो एक शतक भी नहीं लगा पाया और मिट गया ! अगली पीडी की वसीयत यही लिखेंगे हम लोग?
   इस विडंबना व विलक्षण तंत्र के कारण हम संस्कृतिविहीन व अपसंस्कृति के अभिशप्त चेहरे को दर्पण में निहारे तो कैसे पहचानेगे? क्या परिचय होगा हमारा?..

पुनश्च: जागो और जगाओ भा-2 !
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विश्व कल्याणार्थ भारत को विश्व गुरु बनाओ !!!
  लेखक को जानें -संघर्ष का इतिहास 40 वर्ष लम्बा है, किन्तु 2001 से युगदर्पण समचारपत्र द्वारा सार्थक पत्रकारिता और 2010 से हिंदी ब्लॉग जगत में विविध विषयों के 28 ब्लॉग के माध्यम व्यापक अभियान चला कर 3 वर्ष में 60 देशों में पहचान बनाई है। तथा काव्य और लेखन से पत्रकारिता में अपने सशक्त लेखन का विशेष स्थान बनाने वाले, तिलक राज के 10 हजार पाठकों में लगभग 2000 अकेले अमरीका में हैं। 
तिलक राज रेलन, ऐसे वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिसने पत्रकारिता को व्यवसाय नहीं, सदा पवित्र अभियान माना है। वे कलम के धनी व युगदर्पण मीडिया समूह के संपादक हैं, जिसे केवल अपनी कलम के बल से चलाया जा रहा है । उनकी मान्यता है, कि मैकाले वादी कुचक्र ने केवल भ्रष्टाचार ही नहीं, जीवन के हर क्षेत्र को प्रदूषित किया है। यही कारण है, लड़ाई या सफाई भी व्यापक होनी चाहिए। -युग दर्पण प्रशंसक समूह YDPS 

 -तिलक, तिलक राज रेलन संपादक युग दर्पण (9911111611), (7531949051)..

"अंधेरों के जंगल में,दिया मैंने जलाया है! इक दिया,तुम भी जलादो;अँधेरे मिट ही जायेंगे !!"- तिलक