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घड़ा कैसा बने?-इसकी एक प्रक्रिया है। कुम्हार मिटटी घोलता, घोटता, घढता व सुखा कर पकाता है। शिशु, युवा, बाल, किशोर व तरुण को संस्कार की प्रक्रिया युवा होते होते पक जाती है। राष्ट्र के आधारस्तम्भ, सधे हाथों, उचित सांचे में ढलने से युवा समाज व राष्ट्र का संबल बनेगा: यही हमारा ध्येय है। "अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है। इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे।।" (निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र- तिलक संपादक युगदर्पण
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Wednesday, August 23, 2023

आज 23 अगस्त, सभी भारतीयों, प्रवासी भारतीयों व इसरो को अपने मामा जी के घर पहुंचने की हार्दिक बधाई। इसरो के सौजन्य से चंदा मामा से मिलन सफल हुआ।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने 'चंद्रमा पर भारत' के पहुंचने की सराहना की और भविष्य की संबंधित गतिविधियों के बारे में बताया
“चंद्रमा पर भारत की जय हो! इसरो की जय हो!”

आज सायं चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के तुरंत बाद केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की प्रतिक्रिया के शब्द थे।

साथ ही चंद्रयान 3 की लैंडिंग के समय एक ट्वीट में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, 'दूसरे लोग चांद की कल्पना करते हैं, हमने चांद को अनुभव किया है। जहां अन्य लोग सपनों की उड़ान में खोए हुए हैं, वहीं चंद्रयान 3 ने सपने को यथार्थ में बदल दिया है। चंद्रमा के आकाश में ऊंचा लहराता हुआ तिरंगा, भारत के संकल्प की पुष्टि करता है जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था, ‘आकाश की सीमा नहीं है’।

मीडिया को दिए एक संक्षिप्त वक्तव्य में, डॉ. जितेंद्र सिंह ने इसरो के अध्यक्ष, एस. सोमनाथ, मिशन निदेशक, मोहन कुमार और इसरो की पूरी टीम की सराहना की, जिन्होंने भारत के राष्ट्रीय गौरव की सीमा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के अछूते क्षेत्र तक स्थापित की है और अब तक किसी अन्य अंतरिक्ष मिशन द्वारा यहां नहीं पहुँचा जा सका है। उन्होंने कहा कि सामान्य नागरिकों के लिए यह समझना कठिन है कि इसे कितने निरंतर श्रम, प्रयास और दृढ़ संकल्प से अर्जित किया गया है। वर्षों और मास तक दिन-रात काम करने, सावधानीपूर्वक योजना और सूक्ष्म विवरण ने मिशन की सफलता सुनिश्चित की।


आज की सफल उपलब्धि के बाद, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में विश्व के अग्रणी राष्ट्र के रूप में अपनी स्थिति की फिर से पुष्टि की है। उन्होंने भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को उनके संस्थापक विक्रम साराभाई के सपने को साकार करने में सक्षम बनाने हेतु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पूरा श्रेय दिया, जिससे भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक ऐसा वातावरण तैयार हुआ जिसमें भारत की विशाल क्षमता और प्रतिभा को एक मार्ग मिला और वह स्वयं को शेष विश्व के सामने प्रमाणित कर सका।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि विक्रम अपने एल्गोरिदम और उपकरणों की सहायता से सुरक्षित रूप से उतर गया है और लैंडर का झुकाव अंतरिक्ष रॉकेट पर लगे इनक्लिनोमीटर द्वारा मापा गया है। जबकि विक्रम के कैमरों ने चंद्रमा के चित्र खींचे और टचडाउन छूने की पुष्टि की साथ ही अन्य सेंसर से भी इसकी पुष्टि हुई।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस क्षण के बाद आगे की गतिविधियों का वर्णन करते हुए कहा कि विक्रम और प्रज्ञान पर प्रयोग पूरे दिन जारी रहेंगे और चंद्रमा पर आगामी 14 दिनों तक सभी उपकरणों से अधिक डेटा एकत्र किया जाएगा।

लैंडर के बारे में बात करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि संचालन के उपकरणों में ध्रुवीय क्षेत्र के पास चंद्र सतह के थर्मल गुणों की माप करने के लिए सीएचएएसटीई (चंद्र का सतह थर्मो-भौतिक प्रयोग), एलआरए (लेजर रेट्रोरेफ्लेक्टर एरे), रंभा-एलपी- सतह के प्लाज्मा घनत्व को मापने के लिए एक लैंगमुइर प्रोब, भविष्य के ऑर्बिटर्स द्वारा चंद्र सतह पर लैंडर की सटीक स्थिति को मापने हेतु विक्रम के कोने पर एक लेजर रिफ्लेक्टर लगाया गया है, आईएलएसए - लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीयता को मापने और समझने हेतु चंद्र भूकंपीय गतिविधि हेत उपकरण चंद्र परत और मेंटल की संरचना, एलआईबीएस- चंद्र लैंडिंग स्थल के आसपास चंद्र मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना (एमजी, अल, सी, के, सीए, टीआई, फ़े) निर्धारित करने हेतु लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी, एपीएक्सएस - अल्फा कण चंद्र-सतह और आकार के बारे में हमारी समझ को और बढ़ाने हेतु रासायनिक संरचना और खनिज संरचना को मापने हेतु एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर - निकट-अवरक्त (एनआईआर) वेवलेंथ रेंज (1 - 1.7 μm) में रहने योग्य ग्रह पृथ्वी के स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्रिक का अध्ययन करने के स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री लगाया गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि रात और अत्यधिक ठंड की स्थिति के बाद आगामी 14 दिनों के अंत में दिन निकलने पर विक्रम और प्रज्ञान हेतु सौर ऊर्जा उत्पादन फिर से आरंभ होने की आशा है। उन्होंने कहा कि ऑर्बिटर को लंबे समय तक चलने हेतु डिजाइन किया गया है। 

-तिलक रेलन वरिष्ठ पत्रकार, युगदर्पण ®2001 मीडिया समूह YDMS👑

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"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक

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