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घड़ा कैसा बने?-इसकी एक प्रक्रिया है। कुम्हार मिटटी घोलता, घोटता, घढता व सुखा कर पकाता है। शिशु, युवा, बाल, किशोर व तरुण को संस्कार की प्रक्रिया युवा होते होते पक जाती है। राष्ट्र के आधारस्तम्भ, सधे हाथों, उचित सांचे में ढलने से युवा समाज व राष्ट्र का संबल बनेगा: यही हमारा ध्येय है। "अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है। इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे।।" (निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र- तिलक संपादक युगदर्पण
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Friday, November 22, 2013

ऐसा कैसे होता है ?

ऐसा कैसे होता है ?

बृहस्पतिवार, 21 नवम्बर 2013

ऐसा कैसे होता है ? এটা কেমন? તે કેવી રીતે છે? तो कसा आहे? ਐਵੇਂ ਕਿਦ੍ਦਾ ਹੋਂਦਾ ਏ ? 

ಇದು ಹೇಗೆ?   இது எப்படி இருக்கிறது?    అది ఎలా?   How is it? 

कम्पू जी,
Current Qजब देश को बेशर्मी से लूटा जाता है, नेता को न न्याय का भय, 
न 5 वर्षीय लोकतन्त्री कुम्भ में जनता का होता है। बल्कि सत्ता में बने रहने का विश्वास होता है।  
वह मीडिया जिसे 4 वर्ष दीखता भी है तथा घोटालों के गाने भी गाता है ....
.....Read full, all laguages
http://bharatasyasharmnirpekshvyavastha.blogspot.in/2013/11/blog-post.html
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grind public, pillage country, shamelessly looted, बिकाऊ मीडिया, भ्रमजाल, लोकतन्त्री कुम्भ
इतिहास को सही दृष्टी से परखें। गौरव जगाएं, भूलें सुधारें।
आइये, आप ओर हम मिलकर इस दिशा में आगे बढेंगे, देश बड़ेगा । तिलक YDMS
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है| -युगदर्पण
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
 इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक

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