आज 31 अक्तूबर, 2014 को देश के करोड़ो लोगों ने राष्ट्रीय राजधानी सहित सभी प्रदेशों में आयोजित की जा रही एकता दौड़ में भाग लिया है।
सरदार वल्लभभाई पटेल की 139 वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए प्रात: सात बजकर 30 मिनट पर पटेल चौक, संसद मार्ग पर ऐतिहासिक समारोह आयोजित किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा राष्ट्रपति भी शामिल हुए।
प्रधानमंत्री मोदी ने विजय चौक पर 7 बजकर 40 मि पर एकता दौड़ के प्रतिभागियों को संबोधित किया तथा 8 बजे एकता की शपथ दिलाई। राजपथ पर विजय चौक से इंडिया गेट तक आयोजित की गई इस एकता दौड़ को 8 बजकर 15 मिनट पर हरी झंडी दिखाई, तथा सर्वजन के साथ स्वयं भी दौड़े।
स्वतंत्रता के 67 वर्ष के इतिहास में सरदार पटेल विस्मृत किये जाते रहे। सैंकड़ो टुकड़ों में देश को बाँटने की अंग्रेजी चाह को ध्वस्त कर, सभी 550 शासकों को भारत में विलय के लिए तैयार पटेल ने किया था।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह नम्पल्ली, हैदराबाद में प्रात: 7 बजकर 45 मि पर सरदार पटेल की प्रतिमा के निकट एकता दौड़ के लिए आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। बाद में राजनाथ सिंह हैदराबाद में सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में भारतीय पुलिस सेवा अधिकारियों की परेड का अवलोकन किया।
आज सामान्यजन भी समझने लगे हैं, किस प्रकार अब तक केवल एकता के नारे लगाये जाते थे, किन्तु एकता का सूत्र बने पटेल को, पटल पर नहीं आने दिया था; पटेल को प्रमुखता से अब मोदी ने प्रस्तुत किया तथा झंडी दिखा, स्वयं साथ दौड़े, इसने जनता के मन को छू लिया। आज सही अर्थों में एकता का भाव तथा नई पीढ़ी को पटेल ने उद्वेलित किया है। केवल कुछ राष्ट्रद्रोही भले ही अभी भी मुख्य धारा से नहीं जुड़ पाये हों, किन्तु एक अद्भुत वातावरण 67 वर्षों में, सन 1965 के अतिरिक्त कभी नहीं बना, वह मैं एक वरिष्ठ नागरिक के रूप में देख पा रहा हूँ।
राष्ट्र- https://www.youtube.com/watch?v=BVZLvVk6zhw&index=76&list=PL17D218DE462E6B7A
समाज- https://www.youtube.com/watch?v=BVZLvVk6zhw&index=46&list=PLE26119A2723D491D
स्वतन्त्र भारत में कांग्रेस यदि इन 2, सरदार पटेल तथा लाल बहादुर शास्त्री इसी प्रकार मुस्लिम श अब्दुल हमीद तथा पू राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद को आदर्श मान कर चलते तो आज भारत विश्व गुरु होता! मैं इन चारों को नमन करता हूँ। पूरा देश इन चारों को नमन करता है। कामना करते हैं कांग्रेसी व मुस्लिम सही मार्ग पर चल सकें, अन्यथा इनका युग अब समाप्त हो चुका है -सं. युगदर्पण 7531949051
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक
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