अटल बिहारी वाजपेयी और मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न
युदस नदि: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और महामना मदन मोहन मालवीय को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का निर्णय गुरुवार को आज घोषणा वाजपेयी के 90वें जन्मदिन से एक दिन पूर्व की गई है। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया, 'राष्ट्रपति अति हर्ष के साथ पंडित मदन मोहन मालवीय ( मरणोपरांत) और अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित करते हैं।'कल अर्थात 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन है, जिसे मोदी सरकार 'सुशासन दिवस' के रूप में मना रही है। संयोग से मदन मोहन मालवीय का जन्मदिन भी 25 दिसंबर को ही पड़ता है। अब तक 43 लोगों को यह सम्मान दिया जा चुका है। ऐेसे में वाजपेयी और मालवीय, इस भारत रत्न सम्मान से विभूषित किये जाने वाले 44वें और 45वें व्यक्ति हैं। भाजपा लंबे समय से वाजपेयी जो भारत रत्न देने की मांग करती रही थी। ऐसे में यह लगभग तय माना जा रहा था कि सत्ता में आने के बाद वह वाजपेयी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान करेगी। अटल भारत रत्न से सम्मानित होने वाले भाजपा से जुड़े पहले नेता हैं। वाजपेयी के साथ-साथ बनारस हिंदू विवि के संस्थापक मदन मोहन मालवीय को भी मरणोपरांत भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि वाराणसी के लिए निकलने से पूर्व वह अटल बिहारी वाजपेयी से मिलकर, उन्हें जन्मदिन पर शुभकामनाएं देंगे। वाजपेयी को कई ठोस पहल करने का श्रेय दिया जाता है, वे ऐसे प्रथम प्रधानमंत्री बने, जिनका संबंध कभी कांग्रेस से नहीं रहा। भारत के सर्वाधिक चमत्कारी नेताओं में से एक वाजपेयी को एक महान नेता और भाजपा का उदारवादी चेहरा बताया जाता है। वाजपेयी के आलोचक उन्हें संघ का 'मुखौटा' मानते हैं।
दूरदृष्टा और महान शिक्षाविद् मालवीय की मुख्य उपलब्धियों में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना शामिल है। मालवीय को स्वतंत्रता संग्राम में उनकी सशक्त भूमिका और हिंदू राष्ट्रवाद के प्रति उनके समर्थन के लिए भी स्मरण किया जाता है। वह दक्षिणपंथी हिंदू महासभा के आरम्भिक नेताओं में से एक थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं राष्ट्रपति से इन दोनों महान विभूतियों को भारत रत्न से सम्मानित करने की अनुशंसा की थी।
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