सरकार और प्रभाव
विश्व बैंक में कार्य कर चुके 'ममोसिं' की सरकार विश्व बैंक से ऋण मांगती थी तो मना किया जा रहा था किन्तु मोदी की सरकार को विश्व बैंक स्वयं ऋण देने को उत्सुक है; क्यों?
वह सरकार 6 माह का ब्याज नहीं दे रही थी, आज 2 माह का अग्रिम ब्याज दे चुके हैं।
उनके शासन में हिंदी व हिन्दुओं का तिरस्कार होता था, अब सम्मान दिया जाता है।
वे ज्यारत पर चद्दर चढ़ा रोज़ा खोल नेता देश के लुटेरे थे, यह भारत माँ का सेवक बन तथा संसद का सम्मान मंदिर सा और हिन्दू मंदिरों को सम्मान के नए युग का सूत्रपात करने वाला है। प्राकृतिक आपदा से निपटना तथा उसमे भी स्थिति नियंत्रण के अद्भुत कौशल से युक्त नेतृत्व में आशा के बीच निराशा फैलाकर, असंतोष अव्यवस्था का कुचक्र करना राष्ट्र द्रोह है।
भ्रम फ़ैलाने के ऐसे कुचक्र में पारम्परिक नकारात्मक बिकाऊ मीडिया की भूमिका शर्मनिरपेक्षता पूर्ण है।
अच्छे दिनों का क्या कहना अब वो तो निश्चित ही आएंगे
और इस विश्व गुरु भारत का मान भी जग भर में बढ़ाएंगे।
यह देश, धर्म, समाज और भाषा अब न तिरस्कृत होने देंगे!
देश की जड़ों से जुड़के रहेंगे और युगदर्पण के साथ चलेंगे !!
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यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक
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