Saturday, March 9, 2013
** "हे भारत की नारी"**
** "हे भारत की नारी"** Pl. Copy,Paste,Tag frnds
महिला दिवस मनाती नारी अपनी अस्मिता को पहचान,
पवित्र बंधन है, अधिकार ओ दायित्व का समन्वय व मेल।
नारी मुक्ति का डंका बजाने वाले यह गठबंधन क्या जानें,
उनके लिए तो हर इक नारी शमा व नर हैं केवल परवाने।
पुष्प का मान तभी तक है जब तक डाली के साथ रहे।
डाली से छितरे पुष्प तो केवल मसले कुचले ही जायेंगे।
जीवन का यह सिद्धांत क्यों हमें समझाया नहीं आता ?
जब तक दोनों पहिये न चले, वाहन कोई चल नहीं पाता।
-तिलक 9911111611 yugdarpan.com"
अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||" युगदर्पण
Labels:
अधिकार,
अस्मिता,
दायित्व,
नर,
नारी,
पवित्र बंधन,
पहचान,
महिला दिवस,
मुक्ति,
समन्वय
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment