"अंधेरों के जंगल में,दिया मैंने जलाया है! इक दिया,तुम भी जलादो;अँधेरे मिट ही जायेंगे !!"- तिलक
Wednesday, May 16, 2012
17, मई 2012 आज 17 वीं पुण्य तिथि पर श्रद्धा सुमन
माँ, जो गर्भ से मृत्यु तक, हर पल अपने बच्चों के हर दुःख सुख की साथी, जिसकी गोद हर पीड़ा का हरण करती है। बचपन ही नहीं वृद्धावस्था व् जीवन के अंत तक हर पल जब भी तुझे स्मरण करता हूँ भाव विहल हो जाता हूँ। माँ, तेरी याद बहुत आती है, ....माँ, तेरी याद बहुत आती है।
माँ, इन 2 वर्षों में दामाद और बहु भी हो गए हैं शीघ्र ही अगली पीडी भी हो जाएगी। दामाद- सिद्धार्थ है, तथा बहू शालिमा है। तिलक- संपादक युग दर्पण मीडिया समूह, 9911111611, 9654675533."अंधेरों के जंगल में,दिया मैंने जलाया है! इक दिया,तुम भी जलादो;अँधेरे मिट ही जायेंगे !!"- तिलक
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