भारत पाँचवीं बार एशियाई विजेता बना है। इससे पहले हमने 1984, 1988, 1990 और 1995 में यह सम्मान जीता था। इसके बाद 1997, 2004 और 2008 में भी इस महाद्वीपीय क्रिकेट में निर्णायक मोड पर पहुँचा था, किन्तु तीनों अवसरों पर अंत में कप श्रीलंका को मिला।
महेंद्र सिंह धोनी की मंडली असफलता के इस क्रम को तोड़ने में सफल रही, जिसमें उसके शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों और तेज गेंदबाजों विशेषकर नेहरा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सिक्का जीतने के बाद पहले बल्लेबाजी के लिए उतरे भारत ने कार्तिक के 84 गेंद पर 66 रन तथा रोहित शर्मा (41) और धोनी (38) के उपयोगी योगदान से 6 विकेट पर 268 रन का चुनौतीपूर्ण स्थान बनाया।
श्रीलंका की टीम को पहले ओवर से ही झटके लगने शुरू हो गए और नेहरा ने बीच में केवल 6 रन के बदले में शीर्ष के 3 बल्लेबाज पवेलियन भेज दिए, तब श्रीलंका का स्कोर रहा मात्र 5 विकेट पर 51 रन! श्रीलंका इस स्थिति उबर नहीं पाया और चमारा कापुगेदारा के अथक 55 रन के बाद भी 44.4 ओवर में 187 रन पर ढेर हो गया। नेहरा ने 9 ओवर में 40 रन देकर 4 विकेट लिए जबकि रविंदर जडेजा और जहीर खान को 2-2 विकेट मिले।
भारतीयों को सम्मान जनक जीत की ओर अग्रसर करने वाले नेहरा ने अपने दूसरे ओवर में अनुभवी माहेला जयवर्धने (11) और बहुअयामी एंजेलो मैथ्यूज (0) को बाहर करने के बाद अगले ही ओवर में कप्तान कुमार संगकारा (17) को भी पैवेलियन की राह दिखाई।
इससे पूर्व भारत की ओर से गौतम गंभीर को छोड़कर शीर्ष क्रम के सभी बल्लेबाजों ने उपयोगी योगदान दिया। कार्तिक ने अपनी अर्धशतकीय पारी के मध्य गंभीर (15) के साथ पहले विकेट के लिए 38, विराट कोहली (28) के साथ दूसरे विकेट के लिए 52 और कप्तान महेंद्रसिंह धोनी (38) के साथ तीसरे विकेट के लिए 46 रन की महत्वपूर्ण साझेदारी की।विगत 32 मैच में एक भी विकेट नहीं लेने वाले कदाम्बी ने इसके बाद अपनी लेग स्पिन से धोनी को भी पैवेलियन की राह दिखाकर भारत का स्कोर 4 विकेट पर 167 रन कर दिया। भारत को कदाम्बी से मिले इन झटकों से रोहित और सुरेश रैना (29) ने उबारा।
भारत ने सातवें ओवर में ही गंभीर का विकेट गँवा दिया। अपना 100वाँ एक दिवसीय मैच खेल रहे बाँए हाथ के इस बल्लेबाज को नुवान कुलशेखरा की लगातार गेंद पर जीवनदान मिला किन्तु वह इसका लाभ उठाने में असफल रहे। गंभीर का कैच पहले कदाम्बी ने स्लिप में छोड़ा और बाद में संगकारा ने उन्हें जीवनदान दिया। गंभीर दूसरा रन लेने के प्रयास में रन बाधित हो गए।
कार्तिक और कोहली जब मैदान पर थे तभी भारत अच्छी स्थिति में दिख रहा था। ऐसे समय में लसिथ मलिंगा ने कोहली को विकेट के पीछे कैच कराकर श्रीलंका को महत्वपूर्ण सफलता दिलाई। कार्तिक ने इसके बाद कामचलाउ स्पिनर कदाम्बी की गेंद पर मिडविकेट में माहेला जयवर्धने को कैच देने से पूर्व धोनी के साथ मिलकर भारतीय पारी संवारी। इन दोनों ने पाँचवें विकेट के लिए 52 गेंद पर 50 रन की साझेदारी की। मलिंगा ने यॉर्कर पर रैना को पगबाधा आउट करके यह साझेदारी तोड़ी। अंतिम ओवरों में रोहित के साथ रविंदर जडेजा (नाबाद 25) ने उपयोगी रन जुटाए।
जयवर्धने और मैथ्यूज दोनों ने बहरी विकेट से बाहर जाती गेंद पर बल्ला अड़ाकर विकेटकीपर धोनी को लपकने का अवसर दे दिया जबकि संगकारा ने इसी प्रकार की गेंद को उछलने करने के प्रयास में जहीर को हवा में लहराता हुआ "कैच मिड ऑन" पर थमाया। कापुगेदारा और तिलना कदाम्बी (31) ने छठे विकेट के लिए 53 रन की साझेदारी करके स्थिति संभालने की चेष्टा की; दोड़ में समन्वय की कमी से रन आउट हो गए। तब कापुगेदारा आगे बढ़ने के बाद पीछे हट गए किन्तु कदाम्बी काफी आगे निकल गए थे। इसके बाद भारत की जीत मात्र औपचारिकता रह गई थी।
श्रीलंकाई गेंदबाजी में अनुशासन की कमी दिखी। पिछले मैच में भारत के विरुद्ध 'हैट्रिक' लेने वाले माहरूफ ने पारी के आरंभ में साधारण गेंदबाजी की व रण दिए। उसका क्षेत्ररक्षण भी सामान्य रहा।
"अंधेरों के जंगल में,दिया मैंने जलाया है। इक दिया, तुम भी जलादो;अँधेरे मिट ही जायेंगे।।"- तिलक
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