शिक्षको का सम्मान होना चाहिए : जावड़ेकर
अपने गुरूओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए और राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर बल देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रविवार को पुणे फरगुसन कॉलेज में आयोजित एक समारोह में शिक्षाविदों और शिक्षकों को सम्मानित किया। ‘गुरू प्रणाम’ समारोह में उन्होंने कहा कि अपने शिक्षकों को सम्मानित करते हुए मैं पूरे देश के शिक्षकों को प्रणाम करता हूं।
अपने जीवन को मूल्यवान बनाने में अपने गुरूओं की भूमिका का स्मरण दिलाते हुए जावड़ेकर ने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे शिक्षा को रुचिकर बनाये और इसे घसीटने वाला न बनाये।
उन्होंने कहा कि शिक्षक भारतीय शिक्षा में परिवर्तन ला सकते हैं। सरकार शिक्षकों की योग्यता में विश्वास करती है। देश में अनेक शिक्षक परिवर्तन लाने का काम कर रहे है, किन्तु सभी शिक्षकों को इस मिशन में शामिल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि शिक्षक दृढ़ है, तो वे गुणवत्ता सम्पन्न शिक्षा सुनिश्चित कर सकते है। जावड़ेकर ने कहा कि शिक्षकों के प्रयासों की सराहना की जाएगी और उनका दायित्व निर्धारित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में गोपाल कृष्ण गोखले, बी.आर. अम्बेडकर, महात्मा फूले, गोपाल गणेश अगरकर, लोकमान्य तिलक, महर्षि कर्वे, कर्मवीर भाउराव पाटिल तथा पंजाबराव देशमुख जैसे सुधारक हुए है, जिन्होंने शिक्षा पर बल दिया। जावड़ेकर ने कहा कि शिक्षकों को विद्यार्थियों को बड़े सपने देखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
शिक्षा प्रणाली के परिवर्तन में शिक्षकों की भूमिका का उदाहरण देते हुए जावड़ेकर ने मध्यप्रदेश के सतना जिले के पालदेव गांव के बारे में अपने अनुभव को बताया। इस गांव के स्कूल की 12वीं कक्षा का परिणाम केवल 28 % था। जब इस गांव को सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत गोद लिया गया, तो जावड़ेकर ने सभी शिक्षकों को विश्वास में लेते हुए उन्हें प्रेरित किया। इसका परिणाम ये हुआ कि सात माह में उर्तीण होने का % 28 से 82 हो गया। शिक्षकों के उत्साह से परिणाम बदल सकते हैं। मानव संसाधन विकास मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि शिक्षक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के मिशन में उत्साह से भाग लेंगे।
समारोह में जावड़ेकर ने महाराष्ट्र शिक्षा सोसाइटी के पी.एल. गावड़े, जानेमाने लेखक डी.एम.मि रासदर, प्रख्यात वैज्ञानिक डॉक्टर आर.ए.माशेलकर, शिक्षाविद शरद वाग, पी.सी.सेजवालकर, दादा पुतमबेरकर, डॉक्टर एस.एन नवलगुंडकर और डॉक्टर वानी को सम्मानित किया।
हमें, यह मैकाले की नहीं, विश्वगुरु की शिक्षा चाहिए।
आओ, जड़ों से जुड़ें, मिलकर भविष्य उज्जवल बनायें।।- तिलक
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"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक