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घड़ा कैसा बने?-इसकी एक प्रक्रिया है। कुम्हार मिटटी घोलता, घोटता, घढता व सुखा कर पकाता है। शिशु, युवा, बाल, किशोर व तरुण को संस्कार की प्रक्रिया युवा होते होते पक जाती है। राष्ट्र के आधारस्तम्भ, सधे हाथों, उचित सांचे में ढलने से युवा समाज व राष्ट्र का संबल बनेगा: यही हमारा ध्येय है। "अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है। इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे।।" (निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र- तिलक संपादक युगदर्पण
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Tuesday, December 22, 2015

राम मंदिर अयोध्या, विहिप और शर्मनिरपेक्ष व्यवस्था

राम मंदिर अयोध्या, विहिप और शर्मनिरपेक्ष व्यवस्था 
तिलक  
21 दिसं  15 न दि  
जय श्री राम, विश्व हिंदू परिषद (विहपि) की ओर से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण हेतु देशभर से पत्थर इकट्ठा करने का राष्ट्रव्यापी अभियान घोषित करने के प्राय: छह माह बाद, रविवार को पत्थरों से लदे दो ट्रकों के शहर में प्रवेश करने पर जिला पुलिस सतर्क हो गई और स्थिति पर ध्यान रख रही है। विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा, ‘‘अयोध्या में विहिप की संपत्ति राम सेवक पुरम में दो ट्रकों से पत्थर उतारे गये हैं और राम जन्म भूमि के अध्यक्ष महंत नृत्य दास की ओर से ‘शिला पूजन’ किया गया है।’’ इसमें कुछ भी गलत नहीं है। 
इस बीच, महंत नृत्य गोपाल दास ने बताया कि मोदी सरकार से ‘‘संकेत’’ मिले हैं कि मंदिर का निर्माण ‘‘अब’’ कराया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण किया जाये। आज अयोध्या में ढेर सारे पत्थर पहुंच गये हैं। अब पत्थरों का पहुंचना जारी रहेगा।" विहिप मुख्यालय पर पत्थरों के पहुंचने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए फैजाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मोहित गुप्ता ने कहा, ‘‘हम हालात पर पैनी निगाह रख रहे हैं। पत्थर लाए गए हैं और एक निजी परिसर में रखे गए हैं। इस घटना से यदि शांति भंग होती है या सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ता है, तो हम निश्चित रूप से कार्रवाई करेंगे।’’ 
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का अपना प्रण दोहराते हुए विहिप ने जून में घोषित किया था कि वह मंदिर निर्माण के लिए देश भर से पत्थर इकट्ठा करेगी। विहिप ने मुस्लिम समुदाय को भी चेतावनी दी थी कि वह राम मंदिर निर्माण में कोई अड़ंगा न लगाए। विहिप के दिवंगत नेता अशोक सिंघल ने गत माह कहा था, ‘‘राम मंदिर निर्माण के लिए प्राय: 2.25 लाख क्यूबिक फुट पत्थरों की आवश्यकता है और प्राय: 1.25 लाख क्यूबिक फुट पत्थर अयोध्या स्थित विहिप मुख्यालय में तैयार रखे हैं। शेष एक लाख क्यूबिक फुट पत्थर देश भर से हिंदू श्रद्धालुओं से इकट्ठा किए जाएंगे।’’
एक ओर हमारी शर्म निरपेक्ष व्यवस्था के प्रशासन ने इस पर तुरंत प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि वह इस कदम का विरोध करेगा, क्योंकि मामला न्यायालय में विचाराधीन है। उत्तर प्रदेश के गृह विभाग के प्रमुख सचिव देवाशीष पांडा ने कहा था कि राज्य सरकार राम मंदिर के लिए अयोध्या में पत्थर नहीं आने देगी। उन्होंने कहा था, ‘‘चूंकि मामला न्यायालय में विचाराधीन है, अत: सरकार अयोध्या मुद्दे के बारे कोई नई परंपरा शुरू करने की अनुमति नहीं देगी।’’
दूसरी ओर प्रदेश के मुस्लिम समाज की बदलती सोच है जिसमे BAP की अध्यक्षा, नज्मा प्रवीन ने कहा कि यदि मुस्लिम से सम्मान व प्रगति चाहते हैं तो करोड़ों हिन्दुओं की राम के प्रति श्रद्धा से खेल कर नहीं, उसका सम्मान करते, घृणा के स्थाई अंत के लिए राम की जन्म भूमि पर मंदिर निर्माण में सहभागी बन सद्भाव के प्रति उन्हें भी रूचि दिखाने का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। 
एक अन्य हैं मुस्लिम महिला फाउंडेशन की अध्यक्षा, नाज़नीन अंसारी कहती हैं, "राम से युद्ध करनेवाले रावण को लोगों ने माफ़ नहीं किया, तो राम मंदिर को तोड़ने वाले बाबर और उसके समर्थकों को लोग कैसे माफ़ करेंगे?  तथा नाज़नीन अंसारी के अनुसार मंगोल आक्रमणकारी बाबर के पूर्वज हलाकू ने 1258 में बगदाद के खलीफा सहित हजारों मुसलमानों की हत्या की थी तथा बाबर ने 1528 में राम मंदिर तोड़ कर घृणा के बीज बोये थे। सब जानते हैं भारतीय मुसलमानों का मंगोल से कोई सम्बन्ध नहीं है। इस प्रकार मंदिर निर्माण का विरोध करने वाले हिन्दू तो क्या मुसलमानों के भी हितचिंतक नहीं शत्रु हैं। 
दशकों की खुदाई और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट ने बिना शक के साबित कर दिया कि मंदिर को नष्ट करके मस्जिद के निर्माण में बाबर का एक नापाक हित था। जिस प्रकार आक्रान्ताओं ने अन्य सहस्त्रों मंदिरों का  विध्वंस किया था। इन तथ्यों से स्पष्ट है कि मस्जिद से पूर्व वहां मंदिर था। अत: अब इलाहबाद उच्च न्यायालय को न्यायोचित निर्णय देने में विलम्ब का कोई कारण नहीं रहा। 
आप बताएं कि आप बाबर समर्थक शर्मनिरपेक्षता के साथ हैं ? अन्यथा मंदिर विरोधी शर्मनिरपेक्षों को मुहतोड़ उत्तर देकर बाधा कड़ी करने वालों का मुँह बंद कर, समाधान चाहने वालों को मानसिक समर्थन देवें।
कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका;
 विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक

विधेयक पारित, संगीन अपराधों में किशोर आयु 16

विधेयक पारित, संगीन अपराधों में किशोर आयु 16 
तिलक  
22 दिसं
देश की आत्मा को झकझोर देने वाले निर्भया सामूहिक बलात्कार कांड के तीन वर्ष बाद संसद ने आज किशोर न्याय से संबंधित एक महत्वपूर्ण विधेयक कोस्वीकृति दे दी जिसमें बलात्कार सहित संगीन अपराधों के मामले में कुछ शर्तों के साथ किशोर माने जाने की आयु को 18 से घटाकर 16 वर्ष कर दी गई है। इसमें किशोर न्याय बोर्ड के पुनर्गठन सहित कई प्रावधान किये गये हैं। देश में किशोर न्याय के क्षेत्र में दूरगामी प्रभाव डालने वाले किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) विधेयक को आज राज्यसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक पर लाये गये, विपक्ष के सारे संशोधनों को सदन नेअस्वीकार कर दिया। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।
विधेयक को व्यापक विचार विमर्श के लिए प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किये जाने के विरोध में माकपा ने सदन से बहिर्गमन किया। इससे पूर्व विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि इस कानून के तहत जघन्य अपराधों में वे ही अपराध शामिल किये गये हैं जिन्हें भारतीय दंड विधान संगीन अपराध मानता है। इनमें हत्या, बलात्कार, फिरौती के लिए अपहरण, तेजाब हमला आदि अपराध शामिल हैं। उन्होंने संगीन अपराध के लिए किशोर माने जाने की आयु 18 से 16 वर्ष करने पर कुछ सदस्यों की आपत्ति पर कहा कि अमेरिका के कई राज्यों, चीन, फ्रांस सहित कई देशों में इन अपराधों के लिए किशोर की आयु नौ से लेकर 14 वर्ष तक की है। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस के आंकड़ों को माना जाए तो भारत में 16 से 18 वर्ष की आयु वाले बच्चों में अपराध का चलन तेजी से बढ़ा है। मेनका ने किशोर न्याय बोर्ड में किशोर आरोपी की मानसिक स्थिति तय करने की लंबी प्रक्रिया के संदर्भ में कहा कि ऐसा प्रावधान इसीलिए रखा गया है जिससे किसी निर्दोष को दंड न मिले। सदन में आज इस विधेयक को प्रस्तुत करने और इस पर चर्चा के मध्य 16 दिसंबर के सामूहिक बलात्कार की पीड़िता के माता पिता भी दर्शक दीर्घा में उपस्थित थे।
इससे पूर्व इस विधेयक पर चर्चा के मध्य विभिन्न दलों के सदस्यों ने ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जाने पर बल दिया। सदस्यों ने किशोर अपराधों की बढ़ती घटनाओं पर भी चिंता जतायी और बाल सुधार गृहों की स्थिति में सुधार के लिए सरकार को उचित कदम उठाने को कहा।
महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) विधेयक 2015 सदन में चर्चा के लिए रखते हुए कहा कि इसके प्रावधानों से निर्भया मामले में भले ही प्रभाव नहीं होता हो किन्तु आगे के मामलों में नाबालिगों को रोका जा सकता है। उन्होंने सदस्यों से इस विधेयक को पारित करने की अपील करते हुए कांग्रेस से कहा कि यह विधेयक उनका है। उन्होंने कहा कि इसका आरम्भ आपने किया था और हम इसे पूर्ण कर रहे हैं। विधेयक के प्रावधानों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक समग्र विधेयक है। बाल अपराधों के मामले में आयु की सीमा कम किए जाने के प्रावधान वाले इस विधेयक में किशोर न्याय बोर्ड को कई अधिकार दिए गए हैं। मेनका गांधी ने कहा कि किसी भी नाबालिग दोषी को सीधे जेल नहीं भेजा जाएगा। किशोर न्याय बोर्ड यह निर्णय करेगा कि बलात्कार, हत्या जैसे गंभीर अपराधिक घटनाओं में किसी किशोर अपराधी के लिप्त होने के पीछे उसकी मानसिकता क्या थी। बोर्ड यह तय करेगा कि यह कृत्य वयस्क मानसिकता से किया गया है या बचपने में। उन्होंने कहा कि ऐसे नाबालिग अपराधी को भी उच्च अदालतों में अपील करने का अधिकार होगा।
संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि यह विधेयक गत सत्र में और इस सत्र में भी कई दिन चर्चा के लिए सूचीबद्ध किया गया था। किन्तु सदन में हंगामे के कारण इस पर चर्चा नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि ऐसी बात की जा रही है कि सरकार इस विधेयक को लाने की इच्छुक नहीं थी। उन्होंने हालांकि कहा कि यह विधेयक विगत काल से प्रभावी नहीं होगा।
विधेयक पर चर्चा का आरम्भ करते हुए विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आयु को लेकर पूरे विश्व में अलग अलग राय है और इस संबंध में विभिन्न देशों के अपने कानून हैं। किन्तु हमें भारत में अपने समाज के हिसाब से देखना है। विभिन्न प्रकार के अपराधों में किशोरों का उपयोग किए जाने का उल्लेख करते हुए आजाद ने सुझाव दिया कि उन्हें जेल में अलग रखने की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि उन्हें कट्टर अपराधियों के साथ रखेंगे, तो किशोर अपराधियों में सुधार की सम्भावना कम हो जाएगी। 
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक

Thursday, December 17, 2015

नारे लगाता प्यासा विरोधी, आपको पानी पिलाया मोदी

नारे लगाता प्यासा विरोधी, आपको पानी पिलाया मोदी 
तिलक  
16 दिसंबर 2015    नई दिल्ली
 
लोकसभा में आज एक प्रशंसनीय दृश्य देखने को मिला, जब प्रधानमंत्री के विरुद्ध नारे लगा रहे आप सदस्य भगवंत सिंह मान को कुछ बेचैनी सी अनुभव हुई, तो नरेन्द्र मोदी ने उन्हें अपना पानी का गिलास थमा दिया। मान ने पानी पीने के बाद प्रधानमंत्री के इस भाव का मुस्कुरा कर आभार जताया और सदन में उपस्थित सदस्यों ने मेजें थपथपाकर इसका स्वागत किया और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित विपक्षी सदस्य, मोदी और विरोधी, भी इस बात पर मुस्कुराते देखे गए। 
आप सदस्य मान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कार्यालय में सोमवार को सीबीआई द्वारा की गयी छापेमारी का विरोध करते हुए, कांग्रेस तथा तृणमूल सदस्यों के साथ आसन के समक्ष आकर नारेबाजी कर रहे थे। मान ‘‘प्रधानमंत्री होश में आओ’’ के नारे लगा रहे थे। वह आसन के समक्ष प्रधानमंत्री मोदी से कुछ ही कदम दूर खड़े थे। इसी बीच नारे लगाते लगाते भगवंत मान की दृष्टी बेचैनी से आसपास पानी ढूंढने लगीं। इसी बीच धीर गंभीर मुद्रा में बैठे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी मेज से पानी का गिलास उठाकर भगवंत मान की ओर बढ़ा दिया। भगवंत मान ने उनके हाथ से गिलास लिया और पानी पी लिया। भगवंत मान ने मुस्कुरा कर इस भाव के लिए प्रधानमंत्री की ओर देखा, तो प्रधानमंत्री और सुषमा भी मुस्कुरा दिए। 
मानवीय संवेदना और मानवतावाद के पाखंड में यही अन्तर, मोदी को सबसे भिन्न बनाता है। 
विविधता भरे पूरे विश्व में सभी राष्ट्र प्रमुखों से, उसकी और भारत की जय जयकार कराता है। 
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक

Friday, December 11, 2015

महान राष्ट्रकवि सुब्रमण्य भारती, 133 वीं जयन्ती

Image result for सुब्रमण्य भारतीमहान राष्ट्रकवि सुब्रमण्य भारती, 133 वीं जयन्ती 
सुब्रमण्य भारती, சுப்பிரமணிய பாரதி ரஷ்ற்றகவி, 
जन्म दिवस 11 दिसं 2015  न दि 
बात चाहे साहित्य की हो या राजनीति की, गद्य की हो या पद्य की, तमिल की हो या अंग्रेजी की, सुब्रमण्य भारती का कोई सानी दृष्टी में नहीं आता। भारत के महान कवियों में सुविख्यात भारती ने मात्र साहित्य के क्षेत्र में ही अपना बहुमूल्य योगदान नहीं दिया, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में भी उन्होंने अपना परचम लहराया। महाकवि भारती अथवा महाकवि भरतियार के नाम से भी जाना जाता है। उनकी कविताओं में राष्ट्रभक्ति कूट-कूट कर भरी हुई है। वह एक कवि होने के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जुड़े सेनानी, समाज सुधारकपत्रकार तथा उत्तर भारत व दक्षिण भारत के मध्य एकता के सेतु समान थे। जिसने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक, श्री अरविंद और वीवीएस अय्यर जैसी शीर्ष नायकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर भारत को दासत्व की बेड़ियों से बाहर निकालने का प्रयास किया। 
Image result for सुब्रमण्य भारतीआधुनिक तमिल साहित्य का जनक और केंद्र बिंदु, सुब्रमण्य भारती गद्य और पद्य लेखन में काफी परिपक्व थे। उन्होंने कई लघु कथाएं भी लिखी थीं। उन्होंने तमिल कविता में एक नई शैली 'पुथुक्कविताई' अर्थात आधुनिक कविता की रचना की थी। तमिल सबसे मधुर भाषा करार देने वाले भारती ने, एक कविता लिखी थी जिसमें उन्होंने लिखा था कि आज तक उन्होंने तमिल से मधुर भाषा नहीं देखी। भारती तमिल के साथ−साथ तेलुगु, बंगाली, हिन्दी, संस्कृत, फ्रेंच और अंग्रेजी में भी निपुण थे। 
तमिलनाडु के 'एट्टायापुरम' गांव में 11 दिसंबर 1882 को तमिल ब्राह्मण परिवार में जन्मे सुब्रमण्य की प्राथमिक शिक्षा गांव में ही हुई। जब वह मात्र 11 वर्ष के थे, तो उन्हें एक कवि सम्मेलन में बुलाया गया और जहाँ उन्होंने कविता पाठ से प्रभावित किया। मेधावी छात्र होने के नाते वहां के राजा ने उन्हें ‘भारती’ की उपाधि दी। 1898 में वे उच्च शिक्षा के लिये बनारस चले गये। आगामी चार वर्ष उनके जीवन में ‘‘खोज’’ के वर्ष थे। बनारस प्रवास की अवधि में उनका हिन्दू अध्यात्म व राष्ट्रप्रेम से साक्षात्कार हुआ। सन् 1900 तक वे भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन में पूरी तरह जुड़ चुके थे और भगिनी निवेदिताअरविंद और वंदे मातरम् के गीत ने भारती के भीतर आजादी की भावना को और पल्लवित किया। 
जहां तक सुब्रमण्य के पत्रकारिता जीवन की बात है, तो वह भी अपने आप में काफी गौरवशाली रहा। भारती ही देश के एक ऐसे पत्रकार थे, जिन्होंने पहली बार अपने समाचारपत्र में प्रहसन और राजनीतिक कार्टूनों को स्थान दिया।भारती ने स्वतंत्रता संग्राम में बहुत ही  महत्वपूर्ण योगदान दिया था और कई बार जेल यात्रा भी की थी। भारती जब पांडिचेरी में थे तो उन्होंने श्री अरविंद के साथ मिलकर काम किया था और वे दोनों बड़े अच्छे मित्र थे। जीवन के हर क्षेत्र में अपना महत्व रखने वाले भारती का देहांत, बड़े ही मार्मिक ढंग से हुआ। वास्तव में, जिस हाथी को वह प्रति दिन चारा खिलाया करते थे, उसी ने उन्हें कुचल दिया। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए और इस घटना के कुछ ही दिनों बाद 11 सितंबर 1921 को उनका देहांत हो गया। 
प्रमुख रचनाएँ  ‘स्वदेश गीतांगल’ (1908) तथा ‘जन्मभूमि’ (1909) उनके देशभिक्तपूर्ण काव्य माने जाते हैं, जिनमें राष्ट्रप्रेम् और ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति ललकार के भाव स्पष्ट हैं। एक कविता में भारती ने ‘भारत का जाप करो’ की राह दी है।
तुम स्वयं ज्योति हो मां,
शौर्य स्वरूपिणी हो तुम मां,
दुःख और कपट की संहारिका हो मां,
तुम्हारी अनुकम्पा का प्रार्थी हूं मैं मां।
(डॉ॰ भारती की कविता ‘मुक्ति का आह्वान’ से)
‘एक होने में जीवन है। यदि हमारे बीच ऐक्य भाव नहीं रहा, तो सबकी अवनति है। इसमें हम सबका सम्यक उद्घार होना चाहिए। उक्त ज्ञान को प्राप्त करने के बाद हमें और क्या चाहिए?’
हम दासत्व रूपी धन्धे की शरण में प़डकर, बीते हुए दिनों के लिए मन में लिज्जत होकर, द्वंद्वों एवं निंदाओं से निवृत्त होने के लिए; इस गुलामी की स्थिति को (थू कहकर) धिक्कारने के लिए ‘वंदे मातरम्’ कहेंगे। 
काश ! तमिल अपने प्रेरणा पुञ्ज से प्रकाशित हो कर, अपनी ऊर्जा को जागृत कर, 
जड़ों को सुदृढ़ करे। उस राष्ट्र भक्त की जयंती का यही सच्चा उपहार होगा। युगदर्पण 
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
http://samaajdarpan.blogspot.in/2015/12/133.html
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Friday, December 4, 2015

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी का दृष्टिकोण (संबोधन में)

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी का दृष्टिकोण (संबोधन में)

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज नई दिल्‍ली में हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स लीडरशिप समिट को संबोधित किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने भारत की सुनहरे भविष्‍य की ओर यात्रा का विवरण देते हुए कहा कि भारत की वर्तमान स्थिति को विश्‍व के संदर्भ में देखने के साथ-साथ कुछ वर्ष पहले भारत कहाँ था इस संदर्भ में देखना होगा। 
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने भारत के आर्थिक सुधारों के प्रति अपने दृष्टिकोण का विवरण देते हुए, हाल ही मिली कुछ बड़ी आर्थिक सफलताओं, जिनमें 7.4 प्रतिशत आर्थिक विकास दर और व्‍यापार करने के लिए सुगमता में उन्‍नति सम्मिलित है, का उल्लेख किया। उन्‍होंने कहा कि व्‍यापार करने के लिए सुगमता में बढ़ोतरी केवल केंद्र और राज्‍य के मिलकर काम करने के कारण मिली है। प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्‍यों को 14वें वित्‍त आयोग की अनुशंसाओं के अनुरूप अतिरिक्‍त वित्‍तीय सहायता दी गई है। 
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बताया कि एलपीजी सब्सिडी के प्रत्‍यक्ष हस्‍तांतरण और एलईडी लाइटिंग योजना से करोड़ों रूपये की बचत की जा रही है। उन्‍होंने कहा कि यूरिया में नीम की परत चढ़ाने से इसके कृषि क्षेत्र के अतिरिक्‍त दूसरे क्षेत्रों में उपयोग को रोकने में सहायता मिली है। प्रधानमंत्री ने बिहार में दो लोकोमोटिव निर्माण इकाईयों के लिए हाल ही में रेल क्षेत्र में विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश का उल्‍लेख भी किया। 
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने भारत बिना बिजली वाले 18 हजार गांवों में विद्युतीकरण की प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र में प्रगति हर कोई ग्रामीण विद्युतीकरण एप के द्वारा देख सकता है। 
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
बने मीडिया विकल्प; पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार -सम्पूर्ण समाचार -युद।
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक

Monday, August 10, 2015

अमर शहीद खुदीराम बोस

अमर शहीद खुदीराम बोस 
धोतियों पर 'खुदीराम' लिखने लगे थे बंगाल के जुलाहे 
19 वर्षीय शहीद खुदीराम बोस अपने क्रांतिकारी तेवरों के चलते बहुत लोकप्रिय थे। उन्हें फांसी होने के बाद बंगाल के जुलाहे ऐसी धोतियाँ बुनने लगे जिनकी किनारी पर खुदीराम लिखा होता था। 
11 अगस्त 2015,  नई दिल्ली 

स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में खुदीराम बोस एक ऐसा नाम है जो देशवासियों को सदा देशभक्ति की प्रेरणा देता रहेगा। इस नवयुवक ने मात्र 19 वर्ष की आयु में ही देश के लिए अपना बलिदान दे दिया था। तीन दिसंबर 1889 को पश्चिम बंगाल के मेदनीपुर में जन्मे खुदीराम ने स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने की उत्कंठा के चलते नौवीं कक्षा के बाद ही पढ़ाई छोड़ दी थी। खुदीराम स्वदेशी आंदोलन में कूद गए और क्रन्तिकारी संगठन पार्टी का सदस्य बनकर वंदे मातरम् पत्रक वितरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सन 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में भड़के आंदोलन में खुदीराम बोस ने बढ़−चढ़ कर भाग लिया। अंग्रेजों ने 28 फरवरी 1906 को उन्हें बंदी बना लिया किन्तु वह कैद से भाग निकले। दो माह बाद वह फिर से पकड़े गए।
सरकार ने उन्हें आजादी की राह से भटकाने का प्रयास किया किन्तु इस युवक के निश्चय और साहस पर कोई अंतर नहीं पड़ा। अंततः 16 मई 1906 को उन्हें रिहा कर दिया गया। इतिहासवेत्ता शिरोल के अनुसार खुदीराम बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश में अत्यधिक लोकप्रिय थे, जिनके बलिदान के बाद नवयुवकों में देशभक्ति की तीव्र उमंग पैदा हो गई थी। छह दिसंबर 1907 को खुदीराम ने नारायणगढ़ रेलवे स्टेशन पर बंगाल के तत्कालीन गवर्नर की विशेष गाड़ी पर हमला किया किन्तु वह बाल−बाल बच गया।
खुदीराम ने 1908 में दो अंग्रेज अधिकारियों वाट्सन और पैम्फायल्ट फुलर पर हमला किया किन्तु वे भी बच निकले। वह मुजफ्फरपुर के सेशन जज किंग्सफोर्ड से अति रुष्ट थे जिसने क्रांतिकारियों को कठोर दंड दिया था। उन्होंने अपने साथी प्रफुल्ल चंद्र चाकी के साथ मिलकर सेशन जज से प्रतिशोध लेने की ठानी। दोनों मुजफ्फरपुर आए और 30 अप्रैल 1908 को जज की गाड़ी पर बम से हमला किया  किन्तु उस समय इस गाड़ी में जज की जगह दो यूरोपीय महिलाएं सवार थीं।
किंग्सफोर्ड के धोखे में दोनों महिलाएं मारी गईं जिसका खुदीराम और चाकी को बहुत दुःख हुआ। पुलिस उनके पीछे लग गई और वैनी रेलवे स्टेशन पर उन्हें घेर लिया। अपने को घिरा देख प्रफुल्ल चंद्र चाकी ने स्वयं को गोली मारकर बलि दे दी जबकि खुदीराम पकड़े गए। 11 अगस्त 1908 को उन्हें मुजफ्फरपुर जेल में फांसी दे दी गई। फांसी के समय उनकी आयु मात्र 19 वर्ष थी। इतिहासवेत्ता शिरोल के अनुसार फांसी के बाद खुदीराम इतने लोकप्रिय हो गए कि बंगाल के जुलाहे ऐसी धोती बुनने लगे जिनकी किनारी पर खुदीराम लिखा होता था। राष्ट्रवादियों ने शोक मनाया और विद्यार्थियों ने कई दिनों तक स्कूल−कॉलेजों का बहिष्कार किया। 
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Sunday, June 21, 2015

अंतर्राष्ट्रीय योग सम्मेलन

अंतर्राष्ट्रीय योग सम्मेलन





योग के महत्व को बताते हुए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि योग जीवन को जी भरकर जीने की जड़ी-बूटी है। यदि इसे बिकने वाला माल या ‘बपौती’ बनाया तो सबसे अधिक क्षति योग की ही होगी। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर राजपथ पर लगभग 37 हजार लोगों के साथ योग करने के बाद मोदी ने विज्ञान भवन में योग के महत्व पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय योग सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘विश्व में कोई मानव ऐसा नहीं है, जो जी भरकर या भरपूर जीवन जीना नहीं चाहता हो और योग जीवन को जी भरकर जीने की जड़ी-बूटी है।’
उन्होंने कहा कि योग का दृष्टिकोण मानवता के लिए सौहार्दपूर्ण जीने की जीवनशैली है। कई लोग योग को व्यवस्था के रूप में देखते हैं। पर योग व्यवस्था नहीं, अवस्था है। उन्होंने कहा कि योग एकात्मता के भाव को आगे बढ़ाता है। यह लालच और हिंसा के भाव को नियंत्रित करता है। यह परिवार, समाज और देशों में भ्रम और द्वेष को दूर करता है।
इस सम्मेलन में सउदी अरब, कतर, मलेशिया जैसे कई मुस्लिम बहुल आबादी वाले देशों सहित 36 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री ने दो स्मारक सिक्के और एक स्मारक डाक टिकट का लोकार्पण भी किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब योग के बारे में विश्व की अपेक्षाएं हमसे बहुत बढ़ जायेंगी और हमारा दायित्व है कि विश्व की अपेक्षाओं के अनुरूप हम इसे आगे बढ़ायें और बिकने वाली वस्तु न बनने दें। 
12:10: उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय योग सम्मेलन में अपने भाषण का समापन के रूप में "मैं अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को सफल बनाने के लिए विश्व का आभारी हूँ," प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं।
12:06: योग एक वस्तु नहीं है, इसका कभी वाणिज्यीकरण नहीं किया जाना चाहिए, प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं।
00:02: प्रधानमंत्री ने कहा इस घटना के साथ विश्व भर में भारत से अपेक्षाएं बढ़ी है, अब इसके लिए तैयार रहने के लिए हर भारतीय का दायित्व हो जाता हैं। 
12:01: "अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस एक सरकार या यूनाइटेड के दिमाग की उपज नहीं है, जिनके जीवन में योग के द्वारा परिवर्तन आया है यह उन लोगों का एक आंदोलन है ... हम इस आंदोलन को आगे ले जाएगे," प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं।
11:59: योग विश्व को एक साथ में लायेगा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं। 
11:57: योग एक व्यायाम नहीं है, यह एक दर्शन है, प्रधानमंत्री कहते हैं।
11:56: हम एक ऐसे विश्व में रहते हैं, जो कि विभाजित और संघर्षों से भरा हुआ है, प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं।
11:54: योग जाति, धर्म और समुदाय के अतिक्रमण से पर है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय योग सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा।
11:49: जब लोगों को इसके लाभ समझ में नहीं आते, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार, वे योग को शक से देखते है
11:45: "आज के पड़ोसी देशों द्वारा दिखाई एकजुटता हमें परस्पर समीप लाई है," प्रधानमंत्री कहते हैं। 
11:42: यह कहा जाता है योग जीवन बदल देता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि प्राचीन भारतीय परंपरा पूरा जीवन जीने जाने के लिए दवा है।
11:40: योग चिकित्सक विश्व के हर महाद्वीप में कार्य कर रहे हैं, प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं।
11:38: "जब मैंने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के बारे में बात की, तो मुझे क्या पता था कि इस तरह के भारी समर्थन मिल जाएगा " प्रधानमंत्री ने कहा।
11:36: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई दिल्ली में विज्ञान भवन में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवसीय सम्मेलन में संबोधित करते हैं।
11:30: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने भी एक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह में भाग लिया

12.10 am: "I am indebted to the world for making International Yoga Day a success," says PM Narendra Modi as he concludes his speech at the International Yoga conference.
12.06 am: Yoga is not a commodity, it should never be commercialised, says PM Modi.
12.02 am: PM further says expectations from India has risen across the world with this event, now it becomes the responsibility of every Indian to live up to it.
12.01 am: "International Yoga Day is not the brainchild of a government or United, it is a movement of people whose lives have been changed by Yoga...we will take this movement forward," says PM Modi.
11.59 am: Yoga will bring the world together, says PM Narendra Modi.
11.57 am: Yoga is not an exercise, it is a philosophy, says the Prime Minister.
11.56 am: We live in a world that is divided and full of conflicts, says PM Modi.
11.54 am: Yoga transcends caste, creed and community, said PM Narendra Modi addressing International Yoga conference.
11.49 am: According to Prime Minister Narendra Modi, people doubt Yoga when they do not understand its benefits
11.45 am: "The solidarity shown by the neighbouring countries for today has brought us closer," says the Prime Minister.
11.42 am: It is said that Yoga transforms life, says PM Narendra Modi, adding the ancient Indian tradition is the medicine to let one live life to the fullest.
11.40 am: There are yoga practitioners in every continent of the world, says PM Modi.
11.38 am: "When I first talked about International Yoga Day, little did I know that I would get such huge response," says Prime Minister Narendra Modi.
11.36 am: Prime Minister Narendra Modi addresses International Yoga Day conference at Vigyan Bhawan in New Delhi.
11.30 am: Uttarakhand Chief Minister and Congress leader Harish Rawat also participated at an International Yoga Day event: 
पूरा परिवेश पश्चिम की भेंट चढ़ गया है | उसे संस्कारित, योग, आयुर्वेद का अनुसरण कर 
हम अपने जीवन को उचित शैली में ढाल सकते हैं | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
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"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक