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घड़ा कैसा बने?-इसकी एक प्रक्रिया है। कुम्हार मिटटी घोलता, घोटता, घढता व सुखा कर पकाता है। शिशु, युवा, बाल, किशोर व तरुण को संस्कार की प्रक्रिया युवा होते होते पक जाती है। राष्ट्र के आधारस्तम्भ, सधे हाथों, उचित सांचे में ढलने से युवा समाज व राष्ट्र का संबल बनेगा: यही हमारा ध्येय है। "अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है। इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे।।" (निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र- तिलक संपादक युगदर्पण
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Tuesday, December 23, 2014

वाजपेयी और मम मालवीय को भारत रत्न

अटल बिहारी वाजपेयी और मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न

युदस नदि: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और महामना मदन मोहन मालवीय को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का निर्णय गुरुवार को आज घोषणा वाजपेयी के 90वें जन्मदिन से एक दिन पूर्व की गई है। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया, 'राष्ट्रपति अति हर्ष के साथ पंडित मदन मोहन मालवीय ( मरणोपरांत) और अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित करते हैं।' 
कल अर्थात 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन है, जिसे मोदी सरकार 'सुशासन दिवस' के रूप में मना रही है। संयोग से मदन मोहन मालवीय का जन्मदिन भी 25 दिसंबर को ही पड़ता है। अब तक 43 लोगों को यह सम्मान दिया जा चुका है। ऐेसे में वाजपेयी और मालवीय, इस भारत रत्न सम्मान से विभूषित किये जाने वाले 44वें और 45वें व्यक्ति हैं। भाजपा लंबे समय से वाजपेयी जो भारत रत्न देने की मांग करती रही थी। ऐसे में यह लगभग तय माना जा रहा था कि सत्ता में आने के बाद वह वाजपेयी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान करेगी। अटल भारत रत्न से सम्मानित होने वाले भाजपा से जुड़े पहले नेता हैं। वाजपेयी के साथ-साथ बनारस हिंदू विवि के संस्थापक मदन मोहन मालवीय को भी मरणोपरांत भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की गई है। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि वाराणसी के लिए निकलने से पूर्व वह अटल बिहारी वाजपेयी से मिलकर, उन्हें जन्मदिन पर शुभकामनाएं देंगे। वाजपेयी को कई ठोस पहल करने का श्रेय दिया जाता है, वे ऐसे प्रथम प्रधानमंत्री बने, जिनका संबंध कभी कांग्रेस से नहीं रहा। भारत के सर्वाधिक चमत्कारी नेताओं में से एक वाजपेयी को एक महान नेता और भाजपा का उदारवादी चेहरा बताया जाता है। वाजपेयी के आलोचक उन्हें संघ का 'मुखौटा' मानते हैं।
दूरदृष्टा और महान शिक्षाविद् मालवीय की मुख्य उपलब्धियों में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना शामिल है। मालवीय को स्वतंत्रता संग्राम में उनकी सशक्त भूमिका और हिंदू राष्ट्रवाद के प्रति उनके समर्थन के लिए भी स्मरण किया जाता है। वह दक्षिणपंथी हिंदू महासभा के आरम्भिक नेताओं में से एक थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं राष्ट्रपति से इन दोनों महान विभूतियों को भारत रत्न से सम्मानित करने की अनुशंसा की थी। 
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प
-युगदर्पण मीडिया समूह YDMS- तिलक संपादक
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक

Monday, December 22, 2014

कम्पूजी - पीएमके संस्थापक रामदास?

कम्पूजी - 
पीएमके संस्थापक एस रामदास ने, संघ परिवार के अन्य संगठनों द्वारा आयोजित ‘‘घर वापसी’’ (धर्मांतरण) कार्यक्रम पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए इस तरह की योजना को पहले से तैयार किया गया है। -एक समाचार 
कम्पूजी -धर्मांतरण के मुद्दे पर हिंदू विरोधी, आतंकी गतिविधियों, जिहादी संगठनों पर आपने कभी चिंता व्यक्त की वे हितकर थी या शर्मनिरपेक्ष तमाशबीन बने रहे? रामदास के पूर्वज कौन थे हिन्दू मुस्लिम या ईसाई? 
இந்து மதம், முஸ்லீம் அல்லது கிரிஸ்துவர் மூதாதையர்கள் இருந்த ராமதாஸ்,?
রামদাস, રામદાસ, ਰਾਮਦਾਸ, ರಾಮದಾಸ್, ராம்தாஸ், రాందాస్, രാംദാസ്, रामदास:, رام داس, 

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हिंदी साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र, 2001 से
पंजी सं RNI DelHin11786/2001(सोशल मीडिया में
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স্বদেশ প্রত্যাবর্তন, ફર્યાનો, ಮರಳುತ್ತಿರುವ, தாயகம் திரும்பும், హోమ్కమింగ్, ഘര് വപ്സി, ਪਲੀਤੀ, گھر واپسی
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Sunday, December 21, 2014

समाज शिक्षा युवा, चेतना का दर्पण,

समाज शिक्षा युवा, चेतना दर्पण,
आज समान शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश परीक्षाओं में ‘नकल की संस्कृति’ के लिये सरकारें ही नहीं, बल्कि समाज भी दोषी है। सरकारों ने जिस तरह से दायित्व निभाना चाहिये था, वह निर्वहन नहीं किया। यदि किया होता तो सबको समान और सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल जाती।यदि हम आधारिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा को मौलिक शिक्षा का सम्बल दें, तो परिणाम में बहुत 
सुधार होंगे। विगत में मौलिक शिक्षा को भारतीय शिक्षा के नाते सांप्रदायिक मान उपेक्षित करने से शिक्षा का स्तर और उद्देश्य दोनों में नकारात्मकता बड़ी, अब नए चिंतन एवं शिक्षा का परिदृश्य बदल जाएगा।’’ 
सभी नौकरियों के लिये कराई जाने वाली परीक्षा में उत्तीर्ण होना तथा नौकरियाँ पाना ही एकमात्र लक्ष्य रह गया है। शिक्षा और समय पर रोजगार में असफलता युवाओं को अवसाद या अपराध की और धकेलती है। आज देश में शिक्षा, जिन बच्चों की प्रेरणा और आवश्यकता नहीं बन पाती, समाज के शत्रुओं ने उन्हें व्यसनों से जोड़ दिया, जो दोहरा आघात है। 
हम युवाओं की उर्जा को सही समय पर हम उपयोग नहीं कर पाते हैं। दूसरा वे घर समाज के लिए बोझ बन जाते है। शरीर रोगवान हो कर, चिकित्सा व्यय, समय, ऊर्जा, क्षमता, धन, सर्व विनाश का विकराल रूप, यह हमारी विगत की सरकारों ने, रोकने में नहीं, बढ़ाने वालों का साथ दिया। अभी मात्र सत्ता बदली है, "देश की व्यवस्था और इसे नियंत्रित करने वाला, संविधान और समाज की सोच" बदलना आवश्यक है, तभी वांच्छित परिणाम की अपेक्षा कर सकते हैं। 
उपरोक्त चिंतन, हमारे ब्लॉग समाजदर्पण, शिक्षा  दर्पण, युवा दर्पण, चेतना दर्पण, में 2010 से दिया जा रहा है। YDMS के विविध 30 ब्लॉग का विस्तार 70 देशों तक है। समाजशिक्षायुवाव्यसनों से चेतना, के प्रति जागृति का निरंतर अलख YDMS 

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Monday, December 15, 2014

विजय दिवस 16 दिसंबर 1971 स्मरणोत्सव

विजय दिवस 16 दिसंबर 1971 स्मरणोत्सव

देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों पर हमें गर्व है तथा इन्हे शत शत नमन। तिलक
युदस: भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 के समय में, बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी के गठबंधन के रूप में, पाकिस्तान पर अपनी ऐतिहासिक सैन्य विजय के स्मरणोत्सव के रूप में, विजय दिवस (स्मरणोत्सव) हर 16 दिसंबर मनाया जाता है। जो 1971 के युद्ध के अंत में पाकिस्तानी सेना का एकल और बिना शर्त भारत के समक्ष आत्मसमर्पण और पूर्वी पाकिस्तान का अलग बांग्लादेश के रूप में जन्म हुआ। 1971 में इस दिन पर, पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी
ने, 93,000 सैनिकों के साथ, युद्ध में उनकी हार के बाद भारत के जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के नेतृत्व में भारतीय सेना और साथ मुक्ति वाहिनी के संबद्ध बलों के समक्ष, रमना रेस कोर्स अब सुहरावर्दी उद्यान, ढाका में आत्मसमर्पण किया । विजय दिवस की वर्ष गांठ देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों को पूरे भारत में, श्रद्धांजलि देकर मनाया जाता है। देश की राजधानी नई दिल्ली में, भारतीय रक्षा मंत्री और भारतीय सशस्त्र बलों के सभी तीनों अंगों के प्रमुखों के साथ इंडिया गेट नई दिल्ली पर अमर जवान ज्योति और साथ-साथ बंगलौर में राष्ट्रीय सैन्य स्मारक पर, श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
16 दिसंबर हर वर्ष, नागरिकों, वरिष्ठ अधिकारियों, छात्रों और युद्ध के दिग्गजों द्वारा माल्यार्पण कर और सैनिकों के बलिदान को स्मरण किया जाता है। जिन्होंने किया सर्वस्व समर्पण, स्मरण रखेगा उन्हें युगदर्पण -
Vijay Diwas (Victory Day) is also commemorated every 16 December in India as it marks its military victory over Pakistan in 1971 during the Indo-Pakistani War of 1971, who were alliance of Bangladesh Mukti Bahini . The end of the war also resulted in the unilateral and unconditional surrender of the Pakistan Army and subsequent secession of East Pakistan into Bangladesh. On this day in 1971, the chief of the Pakistani forces, General Amir Abdullah Khan Niazi, along with 93,000 troops, surrendered to the allied forces consists of Indian Army and Mukti Bahini, led by General Jagjit Singh Aurora, of India in the Ramna Race Course, now Suhrawardy Udyan, in Dhaka after their defeat in the war. The anniversary of Vijay Divas is observed across India by paying tributes to the martyrs who laid down their lives for the nation. In the nation's capital New Delhi, the Indian Minister of Defence and heads of all three wings of the Indian armed forces pay homage at Amar Jawan Jyoti at India Gate in New Delhi as well as in the National Military Memorial, Bangalore.
On December 16 every year, Citizens, senior officials, students & war veterans lay wreaths and remember the sacrifices of the soldiers.
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
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Tuesday, December 9, 2014

शर्मनिरपेक्षो 'कुछ तो शर्म करो' !

शर्मनिरपेक्षो 'कुछ तो शर्म करो' !
वन्देमातरम, हर भारतीय अवश्य पढ़े,
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उनकी घर वापसी, इनकी पीड़ा;
जब वो घर छोड़ गए, ये चुप रहे ?
उनकी घर वापसी का, हंगामा कर डाला ?
अपने होते तो अपनाते; गैर हैं जो छुटकारा पाते।
कौन मित्र -कौन शत्रु, अँधेरा दूर कर डाला।


तुम संरक्षक थे, मुसलमानों के नहीं, आतंकियों के;
मूसल इमान वाले; इनके समीप हो गए।
हिन्दुओं को सांप्रदायिक कहकर, आतंकियों का समर्थन किया;
तुम तो वोट बैंक मानते रहे, किन्तु इन्होने गले लगा लिया।
तुम्हारा खेल सारा, हम अब समझ गए;
तुम्हे कष्ट है कि हम, घर वापिस क्यों आ गए ?
-तिलक YDMS 7531949051.

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Friday, December 5, 2014

भगवा दिवस 6 दिस का औचित्य

भगवा दिवस 6 दिस का औचित्य
भूमिका आइये सर्वप्रथम रामजन्म भूमि का संक्षिप इतिहास जान लेते हैं। फिर इस पर 30 वर्ष की बकवास बाबरी और 6 दिस भगवा दिवस का औचित्य जानना समझना सरल होगा। जीवन में हम को कई बार घर बदलना पड़ता है किन्तु सारा विवरण नहीं केवल जन्म स्थल महत्वपूर्ण होता है। जन्म प्रमाण पात्र में जो स्थान लिखा है, उसे बदलना तो परिचय ही बदल देना हुआ।
मंदिरों को ध्वस्त कर बनाई गई, भारत की सभी मस्जिद का नहीं मुख्य 3000 में से मात्र 3 पर मुस्लिम सहमत हो जाते तो सौहार्द स्थापित हो सकता था।
किन्तु जिन्हे सौहार्द नहीं तुष्टिकरण चाहिए था, वे धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्दू (छद्म) होकर भी हिन्दुओं को चोट पहुंचाते रहे। जिस खंडहर के लिए, वे हमें दावा छोड़ने की बात कहते रहे, वहां 45 वर्ष में कभी नमाज़ नहीं पढ़ी गई थी। फिर भी राम की जन्म स्थली अर्थात परिचय बदलने का दबाव हम पर बनाया गया। जबकि बाबरी निर्माण में हमारे सम्मान को कुचलने का भाव था, किन्तु उसे त्यागना न्यायपूर्ण तथा सौहार्द स्थापित करने हेतु आवश्यक था, नहीं किया गया। खंडहर के स्तम्भ या चोखट पर कहीं फूल पत्ती नहीं हिन्दू चिन्ह व मूर्ति उकेरी होना प्रमाण है मंदिर को ध्वस्त कर उसके अवशेष जोड़कर खड़ा किये बाबरी ढाँचे को मस्जिद या मुस्लिम पूजा स्थल नहीं कहा जा सकता था। मंदिर पुनरुत्थान का लम्बा आन्दोलन तथा बलिदान की श्रृंखला है।
हिन्दू मानमर्दन कलंक चिन्ह को मिटाकर भगवा का प्रथम संकेत 22 वर्ष पूर्व मिला था। किन्तु शर्मनिरपेक्ष उसे साकार नहीं होने दे रहे थे। आंदोलन के समय मंदिर कहीं और बनाने की बात करते रहे, ढांचा ध्वस्त होने पर उसे फिरसे बनाने अथवा उस विवादित स्थल पर विद्यालय, चिकित्सालय आदि कई विकल्प, केवल मंदिर को रोकने के लिए रखे गए। हाशिम अंसारी, मुस्लिम महिला फाउंडेशन, अयोध्या में राम मंदिर बनाने की पहल में साथ देने के  प्रयास तो उन शर्मनिरपेक्षों को कभी स्वीकार या सहन नहीं होते ? अब धुंध छंट रही है। सौहार्द स्थापित करने के हाशिम अंसारी, मुस्लिम महिला फाउंडेशन के इन प्रयासों के लिए, युगदर्पण परिवार की ओर से, इनका धन्यवाद तथा समस्त हिन्दुओं को बधाई एवं हार्दिक शुभकामनायें। 
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
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